खुद के बच्चे नहीं होने पर देश में बहुत लोग हैं जिन्होंने देश के कानून को फॉलो करते हुए बच्चों को कौन के तहत गोद लिया है। इन अडॉप्टेड बच्चों का क्या अपने माता-पिता की संपत्ति पर क्या अधिकार है, आइए जानते हैं
Image Credit: my-lord.inक्या एक अडॉप्टेड बच्चा अपने माता-पिता की संपत्ति पर अपने अधिकार का दावा कर सकता है या नहीं। हिंदू धर्म में संपत्ति हस्तांतरण हेतु हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में प्रॉपर्टी ट्रांसफर के सिलसिले में 'बेटे' (Son) को परिभाषित नहीं किया गया है इसलिए अडॉप्टेड बच्चों का भी अपनी माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार है
Image Credit: my-lord.inकिसी बच्चे का पालन-पोषण करना इस बात का सबूत नहीं है कि उसे गोद लिया गया है। उच्चतम न्यायालय ने Ram Das Vs Gandiabai मामले में यह कहा कि क्योंकि पिता ने अपने बेटे का खर्चा उठाया इससे दत्तक ग्रहण साबित नहीं होता है
Image Credit: my-lord.inएक और मामला 'प्रफुल्ला बाला मुखर्जी बनाम सतीश चंद्र मुखर्जी' में यह बात कही गई है कि सिर्फ साथ रहना यह साबित नहीं करता है कि माता-पिता और बच्चे को अडॉप्शन की कड़ी ने जोड़ रखा है। इस मामले में मां ने अपने बेटे की संपत्ति पर अधिकार मांगा था जबकि उनका दत्तक पुत्र उन्हें मां कहता था. उसने संपत्ति अपनी असली मां के नाम की थी और इसलिए उन्हें कोई हक नहीं मिला
Image Credit: my-lord.in'हिन्दू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम, 1956' के तहत जैसे ही एक बच्चे को कोई गोद लेता है वो बच्चे का परिवार बन जाता है और उसकी असली फैमिली से उसका रिश्ता खत्म हो जाता है। इससे यह सिद्ध होता है कि बच्चे का अपने दत्तक परिवार की संपत्ति पर अधिकार है, असली परिवार की संपत्ति पर नहीं
Image Credit: my-lord.inहिन्दू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम के तहत कोई भी हिंदू पुरुष जिसकी दिमागी हालत ठीक है और जो एक बालिग है वो किसी भी हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख समुदाय के लड़के या लड़की को गोद ले सकता है। यदि उसकी शादी हो चुकी है तो गोद लेने के लिए पत्नी की रजामंदी भी जरूरी है
Image Credit: my-lord.inइस अधिनियम के तहत एक अकेली महिला या फिर वो जिसकी शादी टूट चुकी है, पति का देहांत हो चुका है या फिर अदालत ने पति को अक्षम कार दिया है, एक बेटे या बेटी को गोद ले सकती है
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