कन्या भ्रूण हत्या और घटते हुए लिंगानुपात को रोकने के लिए, इस अधिनियम के तहत प्रसव से पहले लिंग की जांच और प्रसव पूर्व निदान तकनीक के दुरुपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
Image Credit: my-lord.inइस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य गर्भधारण के बाद भ्रूण का लिंग जानने वाली तकनीकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना और प्रसव पूर्व निदान तकनीक के दुरुपयोग को रोकना है.
Image Credit: my-lord.inकोई भी प्रयोगशाला या केंद्र या क्लिनिक भ्रूण के लिंग का निर्धारण करने के उद्देश्य से अल्ट्रासोनोग्राफी के साथ कोई भी परीक्षण नहीं करेगा.
Image Credit: my-lord.inगर्भवती महिला या उसके रिश्तेदारों को शब्दों, संकेतों या किसी अन्य विधि से भ्रूण का लिंग नहीं बताया जा सकता. अगर कोई ऐसा करेगा तो वह अपराधी माना जाएगा.
Image Credit: my-lord.inकोई भी व्यक्ति जो प्रसव पूर्व गर्भाधान लिंग निर्धारण सुविधाओं के लिये किसी भी दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट रूप में विज्ञापन देता है, या किसी भी तरह शामिल होता है, वह दोषी होगा.
Image Credit: my-lord.inप्रसव पूर्व निदान तकनीक का अपंजीकृत संस्थान में संचालन, विक्रय व लिंग जांच के लिए इस्तेमाल, लिंग जांच को प्रोत्साहित करने वाला विज्ञापन, या शब्द या चित्र से लिंग निर्देशित करना.
Image Credit: my-lord.inगर्भवती महिला के भ्रूण का लिंग जांच करवाने वाले व्यक्ति को तीन से लेकर पांच साल तक की जेल, व 50,000 से लेकर 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
Image Credit: my-lord.inचिकित्सक जो लिंग जांच तकनीक का प्रयोग करता है वो तीन से पांच साल तक के कारावास से और 10,000 से 50,000 रुपये से दंडित किया जाएगा.
Image Credit: my-lord.inविज्ञापन देने या शामिल होने पर तीन साल की जेल और 10,000 रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जाएगा.
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