जब दो या दो से अधिक परस्पर सहमत पक्षों के बीच कुछ कानूनी रूप से लागू करने योग्य अधिकारों और दायित्वों को बताता है. इस तरह की स्थिति ठहराव की अहम भूमिका होती है
Image Credit: my-lord.inIndian Contract Act में ठहराव किसी अनुबंध का आधारभूत स्तंभ होता हैं। इसके अनुसार एक ठहराव का होना बहुत ही जरुरी होता है
Image Credit: my-lord.inजो करार विधिताः प्रवर्तनीय हो संविदा है। कोई भी करार जो विधि द्वारा प्रवर्तनीय (Enforceable by Law) हो मतलब जिसे न्यायालय में जाकर लागू कराया जा सकता हो ऐसा करार संविदा होता है
Image Credit: my-lord.inIndian Contract Act कि धारा 15 कहती जब पक्षकारों की स्वतंत्र सहमति होती है या जब जबरदस्ती या जब अनुचित प्रभाव (धारा 16), धोखाधड़ी (धारा 17), गलत बयानी (धारा 18) और गलती (धारा 20, 21, 22) का अभाव हो, तो स्वतंत्र सहमति कहा जाता है
Image Credit: my-lord.inधारा 11 और 12 में कहा गया है कि सक्षम पक्ष वे व्यक्ति हैं, जिन्होंने बहुमत (majority) प्राप्त कर लिया है , जो मानसिक रुप से स्वस्थ हैं और ऐसे व्यक्ति जो कानून द्वारा अयोग्य नहीं हैं
Image Credit: my-lord.inSection 23 में कहा गया है कि प्रतिफल और उद्देश्य तब तक वैध है, जब तक कि यह कानून द्वारा निषिद्ध (Forbidden) नहीं होता है या यह किसी कानून के प्रावधानों के विरुद्ध होता है या धोखाधड़ी से होता है या व्यक्ति या संपत्ति को चोट पहुंचाता है या सार्वजनिक स्वास्थ्य, नैतिकता, शांति और आदेश का उल्लंघन करता है
Image Credit: my-lord.inMr Balfour ने अपनी पत्नी को 30 पाउंड/ माह का भुगतान करने का वादा किया क्योंकि वह चिकित्सा कारणों से इंग्लैंड में रही थी। जब वह भुगतान करने में विफल रहा, तो Mrs Balfour ने उस पर मुकदमा कर दिया। उसकी कार्रवाई विफल रही क्योंकि Mr & Mrs. Balfour के बीच कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता करने का कोई इरादा नहीं था
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