भारतीय संविधान को देश का 'सर्वोच्च कानून' माना जाता है, जिसमे सरकार के तीन स्तंभों- विधायिका, कार्यकारिणी और न्यायपालिका की शक्तियों और अधिकारों का उल्लेख है. साथ ही इसमें देश के सभी नागरिकों के कर्तव्यों और अधिकारों का विवरण भी दिया गया है। निरंतर आगे बढ़ते रहने के लिए संविधान में बदलाव करना भी जरूरी है, जिसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 368 में किया गया है
Image Credit: my-lord.inसंविधान में पहला संशोधन कब और क्यों हुआ और किस प्रक्रिया के तहत हुआ, विस्तार से समझते हैं. संविधान के अनुच्छेद 87 में मूलतः दो बदलाव किए गए - पहला यह है कि राष्ट्रपति का विशेष सम्बोधन हर सत्र में नहीं बल्कि लोक सभा में जनरल इलेक्शन के बाद के पहले सत्र और साल के पहले सत्र की शुरुआत में होगा
Image Credit: my-lord.inपहले संशोधन अधिनियम की धारा 9 में राज्यों की विधान सभाओं के संबंध में अनुच्छेद 87 के समान परिवर्तन किये गये; संशोधित अनुच्छेद 176 में राज्यपाल द्वारा विशेष संबोधन का प्रावधान है
Image Credit: my-lord.inअनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अधिकारों से जुड़े अनुच्छेद 341 और 342 में भी संशोधन किए गए हैं. इसमें कहा गया कि राष्ट्रपति किसी भी राज्य के संबंध में जातियों, नस्लों या जनजातियों को निर्दिष्ट कर सकते हैं। इसके अलावा, यदि यह पहली अनुसूची के भाग ए या भाग बी में निर्दिष्ट राज्य है, तो राष्ट्रपति को राज्यपाल या राजप्रमुख से परामर्श करना होगा
Image Credit: my-lord.inकिसी भी प्रांत के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र बनाने के लिए अनुच्छेद 376 में संशोधन किया गया
Image Credit: my-lord.in1951 के प्रथम संशोधन अधिनियम के अंतिम खंड ने भारतीय संविधान में नौवीं अनुसूची जोड़ी। यह अनुसूची अनुच्छेद 31बी के साथ पढ़ी जाती है, और इसमें भूमि सुधार पर 13 क़ानून शामिल हैं। आगे के संशोधनों के साथ, अधिक अधिनियम जोड़े गए, और वर्तमान में नौवीं अनुसूची में 284 अधिनियम हैं
Image Credit: my-lord.inसंविधान के अनुच्छेद 368 में इसे संशोधित करने की प्रक्रिया दी गई है; मूल रूप से संविधान में तीन तरह किया जा सकता है। पहला तरीका 'साधारण बहुमत' (Simple Majority) का है; दूसरा 'संसद द्वारा विशेष बहुमत' (Special Majority by Parliament) द्वारा, तथा तीसरे तरीके में 'कुल राज्यों में से आधे के अनुसमर्थन के साथ संसद का विशेष बहुमत' (Special Majority of Parliament with the Ratification by half of Total States) के तहत
Image Credit: my-lord.inकुछ संवैधानिक प्रावधानों को संसद के दोनों सदनों में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत से संशोधित किया जा सकता है. इसके लिए संसद के किसी भी सदन में एक विधेयक पेश किया जाता है जो की राज्यों के कहने पर या उनके परामर्श से शुरू किया जाता है। साधारण बहुमत से अनुच्छेद 11, 73 और 169 और अनुसूची V और VI को संशोधित किया जा सकता है
Image Credit: my-lord.inदूसरा तरीके के तहत उन प्रावधानों को संशोधित किया जाता है जिनका संशोधन साधारण बहुमत से नहीं हो सकता है। इसके लिए संसद के किसी भी सदन में एक विधेयक पेश किया जाता है. प्रत्येक सदन में उसकी कुल सदस्यता के बहुमत से और सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले कम से कम दो-तिहाई सदस्यों के बहुमत से विधेयक पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने पर प्रक्रिया पूरी हो जाती है
Image Credit: my-lord.inसंवैधानिक संशोधन के तीसरे तरीके में 'कुल राज्यों से आधे के अनुसमर्थन के साथ संसद का विशेष बहुमत' (Special Majority of Parliament with the Ratification by half of the Total States) के तहत कुछ संवैधानिक प्रावधानों के मामले में दोनों सदनों के सदस्यों के वोट के साथ-साथ कम से कम आधे राज्यों की सहमति प्राप्त करना आवश्यक है। इस प्रक्रिया द्वारा अनुच्छेद 54-55, 73, 162, 124 से 147, 214 से 231, 241, 245-255 और 368, सातवीं अनुसूची की लिस्ट I, II और III और चौथी अनुसूची को संशोधित किया जा सकता है
Image Credit: my-lord.inभारतीय संविधान 1950 में लागू किया गया और इसमें पहला संशोधन - 'संविधान (पहला संशोधन) अधिनियम, 1951' (The Constitution (First Amendment) Act, 1951)- को संसद में 10 मई, 1950 के दिन इंट्रोड्यूस किया गया था और उसी साल 18 जून को इसे पारित कर दिया गया था। इसके द्वारा अनुच्छेद 15, 19, 85, 87, 174, 176, 341, 342, 372 और 376 में बदलाव किए गए हैं. इस संशोधन अधिनियम में कुल 14 धाराएं हैं
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