Summary Trail की क्या है कानून के तहत प्रक्रिया?

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 08 Aug, 2023

विचारण की प्रक्रिया

जब कोई भी अपराध गंभीर प्रवृत्ति का नहीं होता है तो न्यायालय ऐसे मामलों को जल्द से जल्द निपटाने का प्रयास करती है जिससे कि मामले के पीड़ित या अभियुक्त को जल्द राहत मिले और इसके लिए वे दंड प्रक्रिया संहिता कि धारा 262 के प्रावधान के तहत कार्य करती है । धारा 262 में संक्षिप्त विचारण की प्रक्रिया के विषय में बताया गया है

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संक्षिप्त विचारण

संक्षिप्त विचारण के लिए वही प्रक्रिया अपनायी जाती है, जो समन मामलों के लिए बताई गयी है। संक्षिप्त विचारण के अंत में मजिस्ट्रेट अभियुक्त के अभिवचन को अभिलिखित करता है। इसमें औपचारिक रूप से आरोप तय नहीं किया जाता है और यदि penalty ₹200 से अधिक ना हो तो अपील का भी प्रावधान नहीं है

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Offences Summarily Triable

आईपीसी की धारा 411 के अधीन चोरी की संपत्ति को प्राप्त करना, उसे रखे रखना अपराध है। इस अपराध का विचारण संक्षिप्त किया जा सकता है परंतु यहां शर्त यह है कि संपत्ति का मूल्य ₹2000 से अधिक नहीं होना चाहिए। धारा 454 और 456 जिसमें अपराध की नीयत से घर में घुसने को अपराध बताया गया है

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Importance of Summary Trial

इसके मदद से छोटे मामलों को शीघ्रता से निपटाया जा सकता है तथा शीघ्र एवं सहज न्याय छोटे मामलों में हो सकता है। इस तरह के प्रावधान से न्यायिक प्रक्रिया पर भार भी कम होता है। न्यायालय में मामलों की संख्या कम होती है। धन भी कम खर्च होता है क्योंकि जितनी धीमे न्याय की प्रक्रिया होती है राज्य का उतना ही धन नष्ट होता है

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संक्षिप्त विचारण की प्रक्रिया

इसके अनुसार संक्षिप्त विचारण की प्रक्रिया वही होती है जो कि समन मामलों के विचारणों में अपनायी जाती हैं। यदि सुनवाई कर लेने के बाद मजिस्ट्रेट को यह लगता है कि मामला समन विचारण की तरह विचार किया जाना चाहिए तो वह केस को समन मामलों कि प्रक्रिया के आधार पर उसका विचारण करेगा

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धारा 262 की उपधारा 2

इसमें यह बताया गया है कि किसी भी संक्षिप्त विचारण के अंतर्गत 3 माह से अधिक का कारावास नहीं दिया जाएगा तथा इसके अंदर जुर्माना किया जा सकता है। यदि जुर्माने का भुगतान सही समय पर नहीं किया जाता है तो जुर्माने के भुगतान नहीं किए जाने के परिणाम स्वरूप जो कारावास दिया जाएगा वह अतिरिक्त कारावास होगा

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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