भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत देश के सभी नागरिकों को जीवन का अधिकार प्रदान किया गया है. यह अधिकार सब के लिए एक समान है, चाहे वह कोई पीड़ित हो या फिर कोई अभियुक्त। आपराधिक मामलों के तहत कानून में अभियुक्त को यह अधिकार प्रदान किया गया है कि जब उसका विचारण किया जाए तो वो अपना पक्ष न्यायालय के समक्ष रखे
Image Credit: my-lord.inदण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के अध्याय 19 के तहत, मजिस्ट्रेटों के द्वारा विचारण सम्बन्धी प्रावधानों को तीन भागों में विभाजित किया गया है, पहला सेशन कोर्ट द्वारा विचारण, दूसरा वारंट मामलों पर और तीसरा समन मामलों पर विचारण किया जाता है। इसी में से एक है वारंट मामलों पर विचारण करना जो कि पुलिस रिपोर्ट के संस्थित मामलों (धारा 238 से 243) पर की जाती है
Image Credit: my-lord.inधारा 238 तहत, जब पुलिस रिपोर्ट पर संस्थित (Institute) किसी वारण्ट-मामले में अभियुक्त विचारण के प्रारम्भ में मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर होता है तब मजिस्ट्रेट अपना यह समाधान कर लेगा कि अभियुक्त ने धारा 207 के नियमों का अनुपालन कर लिया है। इसका मतलब यह है कि अभियुक्त को पुलिस रिपोर्ट अथवा अन्य दस्तावेजों की प्रतिलिपियाँ दे दी गयी हैं या नहीं
Image Credit: my-lord.inधारा 239 में उन्मोचन की प्रक्रिया बतायी गई है और इस धारा के अनुसार यदि धारा 173 के अधीन पुलिस रिपोर्ट और उसके साथ भेजी गई दस्तावेजों पर विचार कर लेने, यदि कोई हो, जैसी मजिस्ट्रेट आवश्यक समझे, कर लेने पर और अभियोजन और अभियुक्त को सुनवाई का अवसर देने के बाद मजिस्ट्रेट अभियुक्त के खिलाफ आरोप को निराधार समझता है तो वह उसे उन्मोचित कर देगा
Image Credit: my-lord.inअगर किसी व्यक्ति को उन्मोचित नहीं किया गया है तो फिर उसके विरुद्ध धारा 240 के तहत आरोप विरचित किया जाएगा. मजिस्ट्रेट की यह राय है कि ऐसी उपधारणा करने का आधार है कि अभियुक्त ने ऐसा अपराध किया है जिसका विचारण करने के लिए वह मजिस्ट्रेट सक्षम है, और उसके द्वारा पर्याप्त रूप से दण्डित किया जा सकता है, तो वह अभियुक्त के विरुद्ध आरोप लिखित रूप में विरचित करेगा
Image Credit: my-lord.inयदि अभियुक्त अभिवचन करने से इनकार करता है और विचारण किए जाने का दावा करता है या फिर मजिस्ट्रेट अभियुक्त को धारा 241 के अधीन दोषसिद्ध नहीं करता है तो वह मजिस्ट्रेट साक्षियों की परीक्षा के लिए तारीख नियत करेगा। परंतु मजिस्ट्रेट अभियुक्त को पुलिस द्वारा अन्वेषण के दौरान अभिलिखित (Recording) किए गए साक्षियों के कथन अग्रिम रूप से प्रदान करेगा
Image Credit: my-lord.inमजिस्ट्रेट अभियोजन के आवेदन पर उसके साक्षियों में से किसी को हाजिर होने या कोई दस्तावेज या अन्य चीज पेश करने का निर्देश देने वाला समन भी जारी कर सकता है। ऐसी नियत तारीख पर मजिस्ट्रेट ऐसा सब साक्ष्य लेने के लिए अग्रसर होगा जो अभियोजन के समर्थन में पेश किये जायेंगे
Image Credit: my-lord.inइस धारा के तहत अभियुक्त से यह अपेक्षा की जाएगी कि वह अपनी प्रतिरक्षा आरंभ करे और अपना साक्ष्य पेश करें और यदि अभियुक्त कोई लिखित कथन देता है तो मजिस्ट्रेट उसे अभिलेख में फाइल करेगा
Image Credit: my-lord.inइस धारा के तहत मजिस्ट्रेट यह निष्कर्ष निकालेंगे कि अभियुक्त दोषी है या नहीं और फिर उसके बाद वह दोषमुक्ति का आदेश अभिलिखित करेगा। और यदि मजिस्ट्रेट इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि अभियुक्त दोषी है वहां वह दंड के प्रश्न पर अभियुक्त को सुनने के बाद विधि के अनुसार उसके बारे में दंडादेश दे सकता है
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