Warrant Trial की क्या है कानूनी प्रक्रिया?

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 10 Aug, 2023

जीवन का अधिकार

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत देश के सभी नागरिकों को जीवन का अधिकार प्रदान किया गया है. यह अधिकार सब के लिए एक समान है, चाहे वह कोई पीड़ित हो या फिर कोई अभियुक्त। आपराधिक मामलों के तहत कानून में अभियुक्त को यह अधिकार प्रदान किया गया है कि जब उसका विचारण किया जाए तो वो अपना पक्ष न्यायालय के समक्ष रखे

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विचारण सम्बन्धी प्रावधानों

दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के अध्याय 19 के तहत, मजिस्ट्रेटों के द्वारा विचारण सम्बन्धी प्रावधानों को तीन भागों में विभाजित किया गया है, पहला सेशन कोर्ट द्वारा विचारण, दूसरा वारंट मामलों पर और तीसरा समन मामलों पर विचारण किया जाता है। इसी में से एक है वारंट मामलों पर विचारण करना जो कि पुलिस रिपोर्ट के संस्थित मामलों (धारा 238 से 243) पर की जाती है

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वारण्ट-मामलों पर विचारण

धारा 238 तहत, जब पुलिस रिपोर्ट पर संस्थित (Institute) किसी वारण्ट-मामले में अभियुक्त विचारण के प्रारम्भ में मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर होता है तब मजिस्ट्रेट अपना यह समाधान कर लेगा कि अभियुक्त ने धारा 207 के नियमों का अनुपालन कर लिया है। इसका मतलब यह है कि अभियुक्त को पुलिस रिपोर्ट अथवा अन्य दस्तावेजों की प्रतिलिपियाँ दे दी गयी हैं या नहीं

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उन्मोचन की प्रक्रिया (Discharge)

धारा 239 में उन्मोचन की प्रक्रिया बतायी गई है और इस धारा के अनुसार यदि धारा 173 के अधीन पुलिस रिपोर्ट और उसके साथ भेजी गई दस्तावेजों पर विचार कर लेने, यदि कोई हो, जैसी मजिस्ट्रेट आवश्यक समझे, कर लेने पर और अभियोजन और अभियुक्त को सुनवाई का अवसर देने के बाद मजिस्ट्रेट अभियुक्त के खिलाफ आरोप को निराधार समझता है तो वह उसे उन्मोचित कर देगा

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Framing of Charges

अगर किसी व्यक्ति को उन्मोचित नहीं किया गया है तो फिर उसके विरुद्ध धारा 240 के तहत आरोप विरचित किया जाएगा. मजिस्ट्रेट की यह राय है कि ऐसी उपधारणा करने का आधार है कि अभियुक्त ने ऐसा अपराध किया है जिसका विचारण करने के लिए वह मजिस्ट्रेट सक्षम है, और उसके द्वारा पर्याप्त रूप से दण्डित किया जा सकता है, तो वह अभियुक्त के विरुद्ध आरोप लिखित रूप में विरचित करेगा

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अभियुक्त अभिवचन करने से इनकार

यदि अभियुक्त अभिवचन करने से इनकार करता है और विचारण किए जाने का दावा करता है या फिर मजिस्ट्रेट अभियुक्त को धारा 241 के अधीन दोषसिद्ध नहीं करता है तो वह मजिस्ट्रेट साक्षियों की परीक्षा के लिए तारीख नियत करेगा। परंतु मजिस्ट्रेट अभियुक्त को पुलिस द्वारा अन्वेषण के दौरान अभिलिखित (Recording) किए गए साक्षियों के कथन अग्रिम रूप से प्रदान करेगा

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अभियोजन के लिए साक्ष्य

मजिस्ट्रेट अभियोजन के आवेदन पर उसके साक्षियों में से किसी को हाजिर होने या कोई दस्तावेज या अन्य चीज पेश करने का निर्देश देने वाला समन भी जारी कर सकता है। ऐसी नियत तारीख पर मजिस्ट्रेट ऐसा सब साक्ष्य लेने के लिए अग्रसर होगा जो अभियोजन के समर्थन में पेश किये जायेंगे

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प्रतिरक्षा का साक्ष्य (धारा 243)​

इस धारा के तहत अभियुक्त से यह अपेक्षा की जाएगी कि वह अपनी प्रतिरक्षा आरंभ करे और अपना साक्ष्य पेश करें और यदि अभियुक्त कोई लिखित कथन देता है तो मजिस्ट्रेट उसे अभिलेख में फाइल करेगा

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धारा 248

इस धारा के तहत मजिस्ट्रेट यह निष्कर्ष निकालेंगे कि अभियुक्त दोषी है या नहीं और फिर उसके बाद वह दोषमुक्ति का आदेश अभिलिखित करेगा। और यदि मजिस्ट्रेट इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि अभियुक्त दोषी है वहां वह दंड के प्रश्न पर अभियुक्त को सुनने के बाद विधि के अनुसार उसके बारे में दंडादेश दे सकता है

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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