जब कोई अपराध घटित होता है तब पुलिस अन्वेषण की कार्यवाई के दौरान किसी आरोपी से पुछताछ करने के आशय से आरेपी को पुलिस थाने या किसी निश्चित स्थान पर आने को कहती है और आरोपी नहीं आता तो फिर पुलिस आरोपी को बुलाने के लिए कानूनी कार्यवाही का सहारा लेती है, और फिर वो crpc 1973 की धारा 251 के तहत उसे न्यायालय से एक लिखित आदेश की आवश्यकता होती है
Image Credit: my-lord.inन्यायालय द्वारा जारी लिखित आदेश को ही समन के रुप में जाना जाता है, समन एक दस्तावेज है जो एक व्यक्ति को अदालत के सामने पेश होने और उसके खिलाफ की गई शिकायत का जवाब देने का आदेश देता है। मजिस्ट्रेट द्वारा crpc 1973 की धारा 204(1)(A) के तहत आरोपी को समन जारी किया जाता है
Image Credit: my-lord.inइस धारा का उद्देश्य केवल यह है कि आरोपी व्यक्ति को उस अपराध के विवरणों से अवगत कराना है, जो उसके खिलाफ आरोप लगाया गया है। यह केवल उससे पूछताछ करना है कि क्या वह दोषी है या उसके पास खुद के बचाव के लिए कोई दलील है।
Image Credit: my-lord.inन्यायालय धारा 252 और 253 के तहत दोषी के द्वारा दोष की स्वीकृति पर दोषसिद्धि प्रदान करती है। यदि आरोपी अपना दोष स्वीकार करता है, तो न्यायालय के विवेक पर दोषी ठहराया जा सकता है, और यदि नकारात्मक जवाब आता है तो अदालत को धारा 254 के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है
Image Credit: my-lord.inधारा 254 के तहत अभियोजन के साक्ष्य लेने और धारा 313 के तहत बचाव पक्ष की जांच के बाद, अदालत धारा 254 (1) के तहत बचाव पक्ष के विचारण के साथ आगे बढ़ेगी। बचाव पक्ष के विचारण में आरोपी से अभियोजन पक्ष के साक्ष्य के विरुद्ध साबित करने के लिए कहा जाएगा। किसी भी मामले में आरोपी की सुनवाई में विफलता आपराधिक मुकदमे में मौलिक त्रुटि होगी
Image Credit: my-lord.inधारा 256 के तहत आरोपी की उपस्थिति के लिए निर्धारित तिथि पर, शिकायतकर्ता की अनुपस्थिति अदालत को आरोपी को बरी करने का अधिकार देती है । शिकायतकर्ता की मृत्यु के मामले में भी धारा 256(1) लागू होती है। यदि मृत शिकायतकर्ता का representative- 15 दिनों तक उपस्थित नहीं होता है, जहां प्रतिवादी पेश हुआ, तो प्रतिवादी को न्यायालय द्वारा बरी किया जा सकता है
Image Credit: my-lord.inधारा 258 के तहत किसी भी स्तर पर प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को यह अधिकार देती है कि वह मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की पूर्व मंजूरी के साथ कार्यवाही को रोक सके। इसलिए यदि वह ‘सबूत को रिकॉर्ड करने के बाद’ कार्यवाही को रोक देते है, तो यह बरी होने के फैसले की घोषणा होगी, और यदि वह मामले में ‘सबूत को रिकॉर्ड करने से पहले’ रोक देते है, तो यह माना जाएगा की मामले को रोक दिया गया है
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