न्यायालय में Affidavit का क्या है महत्त्व?

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 12 Aug, 2023

न्यायालय के समक्ष शपथ

न्यायालय के समक्ष अपने कथन कि सत्यता को साबित करने के लिए एक शपथपत्र देना होता है । हमारे समाज में यह माना जाता है कि जो बातें आप प्रतिज्ञा लेकर कह रहे है वह सच है। शपथ पत्र ( Affidavit ) एक तरह की प्रतिज्ञा है, जिसमें आप लिखित में किसी तथ्य या कथन को शपथ या सौगंध लेकर कहते है

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क्या होता है शपथ-पत्र

जब किसी व्यक्ति द्वारा किसी काम को करने या न करने की लिखित रूप में खुद से ली गई तथ्यात्मक घोषणा को affidavit (शपथ-पत्र) कहते हैं। Affidavit को शपथ-पत्र या हलफनामा भी कहते हैं। यह घोषणा किसी ऐसे व्यक्ति के समक्ष ली जाती है जो विधि द्वारा उसके लिए अधिकृत हो, जैसे कि कोई नोटरी पब्लिक या ओथ कमिश्नर

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शपथकर्ता द्वारा सत्यता की पुष्टि

एक हलफनामा तथ्यों का एक लिखित बयान होता है जिसे शपथ के तहत शपथ दिलाई जाती है या पुष्टि की जाती है और सहयोगी (बयान देने वाला व्यक्ति) द्वारा हस्ताक्षरित किया जाता है। हलफ़नामे का उपयोग अक्सर अदालती कार्यवाही में साक्ष्य के रूप में किया जाता है, और वे कानूनी महत्व रखते हैं क्योंकि वे पेश की गई सभी जानकारी की सत्यता की पुष्टि करते हैं

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Judicial and Quasi Judicial

शपथ-पत्र का इस्तेमाल कोर्ट में भी हो सकता है और अर्द्धन्यायिक संस्था (quasi judicial institution) में भी। जन्म प्रमाणपत्र बनवाने, शादी रजिस्ट्रेशन आदि के लिए ऐफिडेविट संबंधित प्राधिकारी के सामने देना होता है, लेकिन यदि बयान गलत है या जानबूझकर गलत बयान दिया गया है तो दावा रद्द हो जाता है

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स्टाम्प पेपर फीस

हर एक राज्य का अपना Stamp Duty Act होता है इस कारण सभी राज्यों में एक समान स्टांप फीस नहीं होती है। सामान्यतः 10 रुपये से 100 रुपए के स्टांप पेपर पर ऐफिडेविट तैयार होता है। इसका मतलब संबंधित प्राधिकार की डिमांड के हिसाब से ऐफिडेविट के लिए स्टांप पेपर का इस्तेमाल किया जाता है

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शपथ-पत्र बनाते समय इन बातों का रखे ध्यान

यह पता करें कि क्या हलफनामा प्रस्तुत करने की कोई आवश्यकता है। कि क्या कोर्ट फीस की उचित राशि की पुष्टि की जानी चाहिए। हलफनामे की सामग्री के सत्यापन को निर्धारित तरीके से ठीक से सत्यापित किया जाना चाहिए। शपथ पत्र का सत्यापन या तो शपथ आयुक्त द्वारा या नोटरी द्वारा किया जाना चाहिए

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गलत शपथ-पत्र देने पर सजा

जब कोई व्यक्ति जानबूझकर झूठा बयान देता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। अगर कोई व्यक्ति किसी और के बदले में शपथ-पत्र पर हस्ताक्षर करता है और उसका गलत इस्तेमाल करता है, तो ऐसा करने वाले शख्स के खिलाफ IPC section -419 ( पहचान बदलकर धोखा देना ) का मुकदमा बन सकता है

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तीन वर्ष तक की सजा

धारा 419 में यह कहा गया है कि जो कोई प्रतिरूपण (impersonation) द्वारा छल करेगा,वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जाएगा

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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