भारतीय न्याय संहिता 2023 में यौन उत्पीड़न के मामलों को संवेदनशीलता से निपटने के प्रयास का है.
Image Credit: my-lord.inन्याय संहिता पीड़िता के साथ अत्यधिक सावधानी बरतने पर जोर देती है. जिसमें उसके बयान दर्ज कराने से लेकर समूचित न्याय मिलने का प्रावधान है.
Image Credit: my-lord.inरेप पीड़िता का बयान महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही दर्ज होगा. पीड़िता का बयान उसके घर पर ही दर्ज किया जाएगा.
Image Credit: my-lord.inबयान दर्ज करते समय पीड़िता के माता/पिता या अभिवावक उपस्थित रहेंगे.
Image Credit: my-lord.inपीड़िता के बयान को इलेक्टॉनिक माध्यम से रिकार्ड किए जाएंगे
Image Credit: my-lord.inभारतीय न्याय संहिता की धारा 183(6) के अनुसार, यौन हिंसा के मामलो में पीड़िता के बयान न्यायालय में महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट की अनुपलब्धता में पुरूष मजिस्ट्रेट द्वारा किसी अन्य महिला की उपस्थिति में लिया जाएगा.
Image Credit: my-lord.inभारतीय न्याय संहिता की धारा 184 के तहत, चौबीस घंटे के अंदर पीड़िता का चिकित्सीय परीक्षण कराया जाना अनिवार्य है.
Image Credit: my-lord.inभारतीय न्याय संहिता की धारा 184(6) के तहत, पुलिस को पीड़िता का मेडिकल जांच उसकी सहमति और अपराध की सूचना मिलने के 24 घंटे के भीतर कराना अनिवार्य है.
Image Credit: my-lord.inभारतीय न्याय संहिता की धारा 184(6) के तहत पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट चिकित्सक द्वारा 7 दिनों के भीतर भेजी जाएगी.
Image Credit: my-lord.inभारतीय न्याय संहिता की धारा 193(3) (iii) के तहत पीड़िता को 90 दिनों के भीतर जांच की प्रगति से सूचित कराना अनिवार्य है.
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