यौन उत्पीड़न मामलों में होगी त्वरित कार्रवाई, जानिए भारतीय न्याय संहिता में क्या प्रावधान है?

Satyam Kumar

Image Credit: my-lord.in | 08 Jul, 2024

भारतीय न्याय संहिता 2023

भारतीय न्याय संहिता 2023 में यौन उत्पीड़न के मामलों को संवेदनशीलता से निपटने के प्रयास का है.

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यौन उत्पीड़न के मामले

न्याय संहिता पीड़िता के साथ अत्यधिक सावधानी बरतने पर जोर देती है. जिसमें उसके बयान दर्ज कराने से लेकर समूचित न्याय मिलने का प्रावधान है.

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रेप पीड़िता

रेप पीड़िता का बयान महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही दर्ज होगा. पीड़िता का बयान उसके घर पर ही दर्ज किया जाएगा.

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बयान दर्ज करना

बयान दर्ज करते समय पीड़िता के माता/पिता या अभिवावक उपस्थित रहेंगे.

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इलेक्टॉनिक माध्यम

पीड़िता के बयान को इलेक्टॉनिक माध्यम से रिकार्ड किए जाएंगे

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बीएनएस 2023 की धारा 183 (6)

भारतीय न्याय संहिता की धारा 183(6) के अनुसार, यौन हिंसा के मामलो में पीड़िता के बयान न्यायालय में महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट की अनुपलब्धता में पुरूष मजिस्ट्रेट द्वारा किसी अन्य महिला की उपस्थिति में लिया जाएगा.

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बीएनएस की धारा 184

भारतीय न्याय संहिता की धारा 184 के तहत, चौबीस घंटे के अंदर पीड़िता का चिकित्सीय परीक्षण कराया जाना अनिवार्य है.

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बीएनएस की धारा 184 (6)

भारतीय न्याय संहिता की धारा 184(6) के तहत, पुलिस को पीड़िता का मेडिकल जांच उसकी सहमति और अपराध की सूचना मिलने के 24 घंटे के भीतर कराना अनिवार्य है.

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मेडिकल जांच

भारतीय न्याय संहिता की धारा 184(6) के तहत पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट चिकित्सक द्वारा 7 दिनों के भीतर भेजी जाएगी.

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जांच की रिपोर्ट

भारतीय न्याय संहिता की धारा 193(3) (iii) के तहत पीड़िता को 90 दिनों के भीतर जांच की प्रगति से सूचित कराना अनिवार्य है.

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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