डिजिटल अरेस्ट क्या होता है? साइबर अपराधियों ने ठगने का नया तरीका ईजाद किया है?

Satyam Kumar

Image Credit: my-lord.in | 19 May, 2024

डिजिटल अरेस्ट

डिजिटल अरेस्ट एक टर्म है जिसका उपयोग साइबर घोटाले का वर्णन करने के लिए किया जाता है जहां अपराधी अपने पीड़ितों से पैसे निकालने के लिए खुद को पुलिस या सीबीआई अधिकारी बताते हैं.

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झूठा डर दिखाकर

धोखेबाज आमतौर पर लोगों को कॉल करते हैं और कहते हैं कि उन्होने ने कोई पार्सल भेजा है या प्राप्त किया है, जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित वस्तु है.

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खुद को अधिकारी बताना

उसके बाद, साइबर अपराधी खुद को पुलिस, CBI या कोई अन्य जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर धमकी देते हैं और ब्लैकमेल किया जाता है

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पैसा दीजिए

वे आपको अपराध मुक्त करने के लिए आप पर पैसे भेजने का दबाव डालते हैं और सहयोग न करने पर जेल भेजने की धमकी देते हैं.

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डिजिटल अरेस्ट

यदि आप सहयोग नहीं करते हैं तो वे आपको "डिजिटल अरेस्ट" की धमकी देते हैं.

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असली दिखेंगे

ये जालसाज पुलिस स्टेशनों और सरकारी कार्यालयों की तर्ज पर बनाए गए स्टूडियो का उपयोग करने में माहिर होते हैं और असली दिखने के लिए वर्दी पहनते हैं.

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घंटों तक वीडियो कॉल

कुछ मामलों में, वे आपको घंटों तक वीडियो कॉल पर रख सकते हैं, जिससे यह अधिक वैध लगता है.

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I4C

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) गृह मंत्रालय के अधीन एक एजेंसी है, जो देश भर में इस अपराध की जांच-पड़ताल कर रही है.

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सावधान रहें

गृह मंत्रालय ने नागरिकों को इस प्रकार की जालसाजी से सावधान रहने और इनके बारे में जागरुकता फैलाने की सलाह दी है.

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सूचित करें

ऐसी कॉल आने पर नागरिकों को तत्काल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर सहायता के लिए रिपोर्ट करना चाहिए.

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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