सामान्य तौर पर ये माना जाता है कि संपत्ति पर अधिकार केवल जीवित व्यक्तियों का ही होता है लेकिन इसके कुछ अपवाद भी है, संपत्ति अंतरण अधिनियम के तहत ऐसे कई प्रावधन हैं जो कि अजात बच्चों का भी संपत्ति में अधिकार संरक्षित करते हैं
Image Credit: my-lord.inएक अजन्मे बच्चे को उसके जन्म के बाद का व्यक्ति कहा जाता है। गर्भ में पल रहे बच्चे का जन्म कई कारणों से माना जाता है। अजन्मा बच्चा निश्चित अधिकार प्राप्त कर सकता है और संपत्ति का उत्तराधिकारी हो सकता है, लेकिन केवल तभी जब वह जीवित पैदा हुआ हो
Image Credit: my-lord.inइसके तहत केवल अजन्मे बच्चे को संपत्ति पर अधिकार देता है यदि वह जीवित पैदा हुआ हो। जब तक उसका जन्म होता है, तब तक सारे अधिकार उसके माता-पिता/ट्रस्टी के नाम पर होते हैं। कोई भी आसानी से पारिवारिक वकील से परामर्श ले सकता है और ऑनलाइन कानूनी सहायता ले सकता है
Image Credit: my-lord.inइस धारा के तहत संपत्ति एक जीवित व्यक्ति द्वारा एक या एक से अधिक अन्य लोगों को वर्तमान तिथि में या भविष्य के समय में या केवल स्वयं को वितरित की जाएगी। इस धारा 5 का अपवाद है धारा 13 जो अजन्मे व्यक्ति के लाभ के लिए स्थानांतरण के संबंध में कुछ नियम बताती है। आइये जानते है क्या हैं नियम-
Image Credit: my-lord.inसंपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 13 अजन्मे व्यक्ति के लाभ के लिए स्थानांतरण को बताती है। यह धारा भारत में उस चीज़ को आयात करने का एक प्रयास है जिसे इंग्लैंड में दोहरी संभावनाओं (Double Probability) के नियम की अवधारणा के रूप में जाना जाता है। नियम यह है कि किसी दूसरे को संपत्ति का निपटान करने वाला व्यक्ति उस संपत्ति के स्वतंत्र निपटान को एक से अधिक पीढ़ी के हाथों में नहीं बांधेगा
Image Credit: my-lord.inकिसी संपत्ति का हस्तांतरण तब तक नहीं हो सकता जब तक कि यह हस्तांतरण ट्रस्ट के माध्यम से न किया जाये। विश्वास के अभाव में संपत्ति किसी जीवित व्यक्ति के पक्ष में और फिर नाबालिग के पक्ष में बनाई जानी आवश्यक है
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