सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के दस ऐतिहासिक जजमेंट

Satyam Kumar

Image Credit: my-lord.in | 05 Aug, 2024

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ अपने फैसले के कारण हमेशा चर्चा मे रहते हैं.

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उनकी संवैधानिक मामलो की समझ, साथी जजों के सम्मान देना व अदालती कार्यवाही के दौरान अनुशासन को बनाए रखने के लिए भी जाने जाते हैं.

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आज हम सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा दिए गए दस ऐतिहासिक मामले की चर्चा करने जा रहे हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ऑब्जर्बर की रिपोर्ट के मुताबिक सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अब तक 67 मामलों की सुनवाई की है जिसमें से उन्होंने 31 मामलों में अपना फैसला सुनाया है. वहीं, 36 मामले उनके सामने लंबित है.

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1. रिजर्व्ड कैटेगरी के भीतर सब-कैटेगरी बनाने की वैधता :सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों का उप-वर्गीकरण स्वीकार्य है और राज्यों को ये उप-वर्गीकरण बनाने का अधिकार है.

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2. रॉयल्टी टैक्स की प्रकृति: 8:1 के बहुमत से नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि राज्य सरकार खदानों और खनिजों पर कर लगा सकती है. इसने कहा कि "रॉयल्टी" कर से अलग है.

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3. विवाह समानता की अपील: पांच न्यायाधीशों की पीठ ने विशेष विवाह अधिनियम, 1954 की वैधता को बरकरार रखा और कहा कि विवाह करने का अधिकार समलैंगिक व्यक्तियों का मौलिक अधिकार नहीं है.

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4.अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती: सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया था.

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5. रिश्वतखोरी के आरोपों का सामना कर रहे सांसदों को मिली विधायी इम्युनिटी: सात न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से माना कि किसी विधिनिर्माता (सांसदो-विधायकों) को संविधान के अनुच्छेद 105(2) और 194(2) के तहत रिश्वतखोरी के मामले में छूट नहीं है.

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6. इलेक्टॉरल बॉन्ड की वैधता: सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि चुनावी बांड योजना मतदाताओं के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करने के चलते असंवैधानिक है.

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7. स्टे ऑर्डर के स्वत: समाप्ती की वैधता: अदालत ने निर्णय दिया कि संवैधानिक अदालत को किसी भी न्यायालय में लंबित मामले के निपटारे के लिए आम तौर पर समय सीमा निर्धारित नहीं करनी चाहिए। सिविल और आपराधिक मामलों में दिया गया स्थगन आदेश तब तक लागू रहेगा जब तक कि मामले का निर्णय नहीं हो जाता, जब तक कि यह स्पष्ट रूप से समयबद्ध न हो.

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8. गौ-रक्षा: 17 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने गौरक्षकों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए. हालांकि, इसमें गौरक्षकों के लिए छूट प्रावधानों की संवैधानिक वैधता पर सवाल नहीं उठाया गया.

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9. यूनिफॉर्म मैरिज एक्ट: न्यायालय ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि केवल संसद को ही धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव किए बिना विवाह के लिए एक समान न्यूनतम आयु निर्धारित करने का अधिकार है.

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10. निजता का मौलिक अधिकार: सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि निजता का मौलिक अधिकार भारत के संविधान के तहत गारंटीकृत है.

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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने उपरोक्त मामले में पीठ का हिस्सा रहें. वहीं कुछ मामले में उनकी अगुवाई पीठ ने फैसला सुनाया है.

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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