सुप्रीम कोर्ट जस्टिस संजीव खन्ना के वो ऐतिहासिक फैसले, जो लोगों के लिए नजीर बने

Satyam Kumar

Image Credit: my-lord.in | 09 Aug, 2024

जस्टिस संजीव खन्ना

जस्टिस संजीव खन्ना देश के प्राख्यात जजो में से एक है.

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सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़े जस्टिस संजीव खन्ना 18 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट में जज बने, और 2025 में रिटायर होंगे.

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फैसले जो बने नजीर

आज हम उनके कुछ बेहतरीन फैसले के बारे में बताने जा रहे जिसे उन्होंने खुद लिखा है या फैसला सुनानेवाली पीठ का हिस्सा रहे हैं.

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1. सुप्रीम कोर्ट को सीधे तलाक देने का अधिकार

संविधान पीठ ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के पास भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विवेकाधीन शक्तियों का प्रयोग करके, सीधे उसके पास आने वाले पक्षकारों को तलाक देने का अधिकार है.

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2. नरेंद्र मोदी की बायोपिक रिलीज

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक की रिलीज पर रोक लगाने के चुनाव आयोग के आदेश में हस्तक्षेप न करने का फैसला किया है. इस फैसले ने चुनाव आयोग के अधिकार को बरकरार रखा है.

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3.वीवीपैट के माध्यम से वोट सत्यापन में वृद्धि

8 अप्रैल, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को वीवीपैट मिलान वाले मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ाने का आदेश दिया था.

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4. गिरफ्तारी के विरुद्ध पूर्वव्यापी प्रतिरक्षा

पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि सार्वजनिक अधिकारियों को गिरफ्तार होने के बाद गिरफ्तारी से छूट नहीं दी जा सकती, क्योंकि गिरफ्तारी के बाद यह प्रावधान समाप्त हो जाता है.

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5. बिना मुहर लगे मध्यस्थता समझौते की वैधता

न्यायालय ने बिना हस्ताक्षर वाले मध्यस्थता समझौते की वैधता को बरकरार रखते हुए कहा कि हस्ताक्षर का अभाव एक सुधार योग्य त्रुटि है और इससे समझौता पूरी तरह से अमान्य नहीं हो जाता. यह निर्णय समझौते को बनाए रखने के लिए ऐसी त्रुटियों को सुधारने के महत्व पर जोर देता है.

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6. आरटीआई और न्यायिक स्वतंत्रता

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि न्यायिक स्वतंत्रता पारदर्शिता के विरुद्ध नहीं है.

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7. मध्यस्थों के लिए शुल्क पैमाने में संशोधन

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि मध्यस्थता में पक्ष की स्वायत्तता सर्वोपरि है, और इसलिए, मध्यस्थ एकतरफा अपनी फीस निर्धारित नहीं कर सकता है. सारांश: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता में पक्ष की स्वायत्तता पर जोर देते हुए कहा है कि मध्यस्थ स्वतंत्र रूप से अपनी फीस तय नहीं कर सकता है.

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जस्टिस संजीव खन्ना

जस्टिस संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट में अब तक 27 वादों से जुड़े हैं, जिसमें से 14 पर उन्होंने अपना फैसला सुनाया है.

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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