सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज को केवल महाभियोग की प्रक्रिया से ही हटाया जा सकता है.
Source: my-lord.inसंविधान के अनुच्छेद 124 और 217 के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के न्यायाधीश को राष्ट्रपति द्वारा 'सिद्ध दुराचार' या 'अक्षमता' के आधार पर हटाया जा सकता है.
Source: my-lord.inसंविधान शब्द में 'अक्षमता' शब्द की व्याख्या नहीं की गई है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर इसकी व्याख्या की है.
Source: my-lord.inवहीं, न्यायाधीशों की हटाने की प्रक्रिया 1968 के न्यायाधीश (जांच) अधिनियम में विस्तृत रूप से वर्णित है.
Source: my-lord.inराज्यसभा में निष्कासन के लिए 50 सदस्यों और लोकसभा में 100 सदस्यों के द्वारा नोटिस पर हस्ताक्षर होना आवश्यक है.
Source: my-lord.inयदि प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है, तो एक तीन-सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा जिसमें सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के न्यायाधीश और एक प्रतिष्ठित कानूनी विशेषज्ञ शामिल होंगे.
Source: my-lord.inयदि समिति न्यायाधीश को किसी गलत आचरण या अक्षमता से मुक्त करती है, तो प्रस्ताव पर आगे नहीं बढ़ेगी,
Source: my-lord.inयदि जांच समिति जज को दोषी पाती है, न्यायाधीश को हटाने के लिए संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत से प्रस्ताव पारित करना आवश्यक है.
Source: my-lord.inजस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग नोटिस पर 55 सासंदों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिसके बाद उन्हें जांच समिति के समक्ष पेश होना पड़ेगा.
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