संसद के मॉनसून सत्र में विपक्ष ने सरकार के खिलाफ लोक सभा में अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) जारी किया है जिसपर चर्चा अगले हफ्ते होगी। अविश्वास प्रस्ताव क्या है, इसका उद्देश्य क्या है, इसे किन परिस्थितियों में जारी किया जाता है, आइए समझते हैं
Image Credit: my-lord.inकिसी दल की सरकार तब तक सत्ता में रहती है जब तक लोक सभा में उसे बहुमत प्राप्त है. विपक्ष को अगर सरकार के विरुद्ध अपना अविश्वास व्यक्त करना होता है तो वह सदन में एक प्रस्ताव पेश करते हैं जिसे अविश्वास प्रस्ताव कहा जाता है
Image Credit: my-lord.inभारतीय संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का अलग से उल्लेख नहीं किया गया है लेकिन अनुच्छेद 75 में यह स्पष्ट किया गया है कि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है और वो तब तक सत्ता में रहते हैं जब तक उन्हें लोक सभा का समर्थन मिलता है. अविश्वास प्रस्ताव जारी करने का मतलब यह है कि विपक्ष का सरकार में विश्वास की कमी
Image Credit: my-lord.inलोक सभा का कोई भी सदस्य सदन में 'नो-कॉन्फिडेंस मोशन' को पेश कर सकता है और इसकी प्रक्रिया को विस्तार से लोक सभा की नियमावली में 'नियम संख्या 198' में समझाया गया है। मोशन को जारी करने के लिए जरूरी है कि इस प्रस्ताव को सदन के कम से कम 50 सदस्यों को समर्थन होना चाहिए
Image Credit: my-lord.inयह प्रस्ताव लिखित रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए, इसपर उस सदस्य के हस्ताक्षर होने चाहिए जिसने इसे इनिशीएट किया है और फिर कार्यवाही वाले दिन पर इसे लोक सभा के अध्यक्ष को सबमिट कर दिया जाना चाहिए
Image Credit: my-lord.inअविश्वास प्रस्ताव लोक सभा के स्पीकर के पास सुबह 10 बजे से पहले पहुँच जाना चाहिए और फिर स्पीकर इस प्रस्ताव को सदन के सामने पढ़कर सुनाते हैं और चाहें तो खारिज भी कर सकते हैं, या डिस्कशन और डिबेट के लिए मंजूर कर सकते हैं. चर्चा प्रस्ताव स्वीकृति के दस दिनों के अंदर का होनी चाहिए, अन्यथा नो-कॉन्फिडेंस मोशन अपने आप खारिज हो जाता है
Image Credit: my-lord.inनिर्धारित तिथि पर लोक सभा में प्रस्ताव पर चर्चा होती है जिसके बाद सरकार उस प्रस्ताव पर अपना जवाब देती है। इस जवाब पर विपक्ष दल के नेता अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। चर्चा के बाद सदन में वोटिंग होती है यदि प्रस्ताव पर सदन में सदस्यों का बहुमत से समर्थन मिलाने पर यह पारित हो जाता है तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है, अन्यथा प्रस्ताव खारिज हो जाता है
Image Credit: my-lord.in1947 में देश की स्वतंत्रता के बाद से अब तक लोक सभा में कुल मिलाकर 27 नो-कॉन्फिडेंस मोशन जारी किये गए हैं. जुलाई, 1979 में प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव जारी किया गया था और वोटिंग से पहले ही उनकी सरकार ने इस्तीफा दे दिया था. 1999 में, अटल बिहारी वाजपयी की सरकार अविश्वास प्रस्ताव में सिर्फ एक वोट से हार गई और उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी थी
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