'प्रसूति प्रसुविधा अधिनियम' केंद्र द्वारा देश की स्वतंत्रता के लगभग 14 चौदह साल बाद पारित किया गया था, इसके प्रावधानों को उस समय के प्रचलित अंतर्राष्ट्रीय मानकों का ध्यान रखते हुए तैयार किया गया था
Image Credit: my-lord.inगर्भावस्था, प्रसव और इससे जुड़ी जटिलताओं हेतु सशर्त लाभ देने वाला यह अधिनियम उन सभी संस्थानों पर लागू होता है जिनमें दस या दस से ज्यादा कर्मचारी हों और इसका फायदा वो महिलाएं उठा सकती हैं जिन्होंने संस्थान में कम से कम 80 दिन काम किया हो
Image Credit: my-lord.inअधिनियम के तहत महिला को बाढ़ हफ्तों की मटर्निटी लीव की सुविधा मिलती है जिसमें से ड्यूडेट से पहले की अवधि छह हफ्तों से ज्यादा की नहीं होनी चाहिए
Image Credit: my-lord.inजो महिलाएं इस अधिनियम में दी गई मटर्निटी लीव के प्रावधान का पालन करती हैं, वो उन दिनों के लिए औसत दैनिक वेतन के दर पर प्रसूति प्रसुविधाएं की हकदार हैं जब वो काम के लिए ऑफिस में उपस्थित नहीं हो सकती हैं
Image Credit: my-lord.inकानून के तहत यदि कोई Pre-Natal Confinement और Postpartum Care नहीं है, तो नियोक्ता से महिला को मेडिकल बोनस दिया जाएगा; जिसकी महिला को अलग से कोई कीमत नहीं चुकानी होगी
Image Credit: my-lord.inनियोक्ता महिला की मृत्यु की स्थिति में उसके नामित व्यक्ति या कानूनी प्रतिनिधि को मातृत्व लाभ सहित सभी ऋणों का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार है
Image Credit: my-lord.inइस अधिनियम के तहत महिला को अधिकतम 26 हफ्तों के लिए प्रसूति प्रसुविधाएं मिलती हैं जिनमें ड्यूडेट से पहले के आठ हफ्ते शामिल नहीं हैं; अगर किसी महिला का इस दौरान देहांत हो जाता है तो ये प्रसुविधाएं सिर्फ तब के लिए दी जाएंगी जिनमें वो बीमार थीं और जिस दिन उनका देहांत हुआ
Image Credit: my-lord.inप्रसूति प्रसुविधा अधिनियम की धारा 5(4) के तहत अगर एक महिला एक ऐसे बच्चे को गोद लेती है जिसकी उम्र तीन महीने से भी कम है तो उसे उस दिन से 12 हफ्तों के लिए मटर्निटी बेनेफिट्स मिलेंगे जिस दिन मां को बच्चा दिया जाएगा
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