Maternity Benefits Act के तहत महिलाओं को मिलने वाले लाभ

Ananya Srivastava

Image Credit: my-lord.in | 08 Aug, 2023

'प्रसूति प्रसुविधा अधिनियम, 1961'

'प्रसूति प्रसुविधा अधिनियम' केंद्र द्वारा देश की स्वतंत्रता के लगभग 14 चौदह साल बाद पारित किया गया था, इसके प्रावधानों को उस समय के प्रचलित अंतर्राष्ट्रीय मानकों का ध्यान रखते हुए तैयार किया गया था

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किन पर लागू होता है ये अधिनियम?

गर्भावस्था, प्रसव और इससे जुड़ी जटिलताओं हेतु सशर्त लाभ देने वाला यह अधिनियम उन सभी संस्थानों पर लागू होता है जिनमें दस या दस से ज्यादा कर्मचारी हों और इसका फायदा वो महिलाएं उठा सकती हैं जिन्होंने संस्थान में कम से कम 80 दिन काम किया हो

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मटर्निटी बेनेफिट्स एक्ट में छुट्टी की अवधि

अधिनियम के तहत महिला को बाढ़ हफ्तों की मटर्निटी लीव की सुविधा मिलती है जिसमें से ड्यूडेट से पहले की अवधि छह हफ्तों से ज्यादा की नहीं होनी चाहिए

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छुट्टी के दौरान मिलने वाला Remuneration

जो महिलाएं इस अधिनियम में दी गई मटर्निटी लीव के प्रावधान का पालन करती हैं, वो उन दिनों के लिए औसत दैनिक वेतन के दर पर प्रसूति प्रसुविधाएं की हकदार हैं जब वो काम के लिए ऑफिस में उपस्थित नहीं हो सकती हैं

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अधिनियम के अंतर्गत वित्तीय लाभ

कानून के तहत यदि कोई Pre-Natal Confinement और Postpartum Care नहीं है, तो नियोक्ता से महिला को मेडिकल बोनस दिया जाएगा; जिसकी महिला को अलग से कोई कीमत नहीं चुकानी होगी

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महिला की मृत्यु हो जाए तो...

नियोक्ता महिला की मृत्यु की स्थिति में उसके नामित व्यक्ति या कानूनी प्रतिनिधि को मातृत्व लाभ सहित सभी ऋणों का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार है

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मटर्निटी बेनेफिट्स की पूरी अवधि

इस अधिनियम के तहत महिला को अधिकतम 26 हफ्तों के लिए प्रसूति प्रसुविधाएं मिलती हैं जिनमें ड्यूडेट से पहले के आठ हफ्ते शामिल नहीं हैं; अगर किसी महिला का इस दौरान देहांत हो जाता है तो ये प्रसुविधाएं सिर्फ तब के लिए दी जाएंगी जिनमें वो बीमार थीं और जिस दिन उनका देहांत हुआ

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अडॉप्शन के लिए प्रसूति प्रसुविधाएं

प्रसूति प्रसुविधा अधिनियम की धारा 5(4) के तहत अगर एक महिला एक ऐसे बच्चे को गोद लेती है जिसकी उम्र तीन महीने से भी कम है तो उसे उस दिन से 12 हफ्तों के लिए मटर्निटी बेनेफिट्स मिलेंगे जिस दिन मां को बच्चा दिया जाएगा

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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