Marital Rape कानूनी रुप से अपराध है या नहीं?

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 20 Jul, 2023

क्या है Marital Rape

विवाह के बाद अगर कोई पति पत्नी के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे वैवाहिक बलात्कार कहते हैं, लेकिन भारत में यह अपराध नहीं माना जाता

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सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं

संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट पीठ ने यह नोट किया कि अब तक Indian Penal Code (IPC) की धारा 375 (बलात्कार) के अपवाद (2) की चुनौती का समाधान नहीं किया है. इस पर सुनवाई के लिए जल्द ही तारीख तय की जाएगी

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IPC में रेप की परिभाषा

IPC की धारा 375 'बलात्कार' को लेकर है, इसके तहत अगर महिला की रजामंदी के बिना, जबरदस्ती से, धमकाकर, धोखे से, नशे में धुत करके, ऐसी स्थिति में जब वो अपनी कन्सेंट अभिव्यक्त न कर सके या जब उसकी उम्र 18 साल से कम हो, उसके साथ पुरुष कोई ऐसा कृत करता है तो वह रेप माना जाएगा

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Marital Rape अपराध नहीं

IPC की धारा 375 में, बलात्कार की परिभाषा के तहत वैवाहिक बलात्कार का कहीं कोई जिक्र नहीं है. इस धारा के कुछ अपवाद हैं जिनमें दूसरा अपवाद यह स्पष्ट करता है कि मैरिटल रेप भारत में अपराध की श्रेणी में नहीं आता है

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पत्नी की उम्र 15 साल से अधिक है तो......

IPC की धारा 375 का अपवाद (2) के अनुसार यदि पत्नी की उम्र 15 साल से कम नहीं है तो यह रेप नहीं माना जाएगा, पत्नी की रजामंदी का महत्व नहीं है और विवाह के बाद पति अगर जबरदस्ती भी शारीरिक संबंध बनाता है तो वो बलात्कार नहीं होगा

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पत्नी के हक में हाई कोर्ट का फैसला

मार्च, 2022 में Karnataka HC ने एक पति के खिलाफ अपनी पत्नी के साथ बलात्कार करने के आरोपों को रद्द करने से इनकार कर दिया था. उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने यह कहा था कि शादी का बंधन किसी भी आदमी को अपनी पत्नी के साथ शोषण या क्रूरता करने का लाइसेंस नहीं देता है. इस फैसले पर जुलाई, 2022 में उच्चतम न्यायालय ने स्टे लागू कर दिया था

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लंबित मामला

मैरिटल रेप का एक मामला मई, 2022 में Delhi High Court में आया था जिसमें खंडपीठ ने एक स्प्लिट वर्डिक्ट दिया था, जहां Justice Rajiv Shakdher ने मैरिटल रेप को अपवाद बताने वाले प्रावधान को असंवैधानिक बताया था वहीं Justice C Hari Shankar ने इसे अपहोल्ड किया था. इस खंडित के फैसले के खिलाफ याचिका सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है

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जबरदस्ती गर्भधारण का केस

पिछले साल सितंबर में उच्चतम न्यायालय ने Medical Termination of Pregnancy Act, 1971 के संदर्भ में यह कहा था कि महिलाओं को जबरदस्ती गर्भधारण (Forceful Pregnancy) से बचाने के लिए 'वैवाहिक बलात्कार' को 'रेप' की परिभाषा के तहत मानना जरूरी है

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