Bolar Provision क्यों है बहस का विषय Indian Patents Act में?

Ananya Srivastava

Image Credit: my-lord.in | 30 Jul, 2023

पेटेंट अधिकार कब दिए जाते हैं

The Indian Patents Act, 1970 के तहत उन आविष्कारों के लिए पेटेंट अधिकार दिए जाते हैं जो एक नई और आविष्कारशील प्रक्रिया, प्रोडक्ट या लेख को कवर करते हैं जिनसे नवीनता और आविष्कारशील कदमों की पेटेंट पात्रता आवश्यकताएं पूरी हों और जो औद्योगिक अनुप्रयोग में सक्षम हों

Image Credit: my-lord.in

'पेटेंट' एक एक्स्क्लूसिव अधिकार

'पेटेंट' (Patent) एक एक्स्क्लूसिव अधिकार है जो उस आविष्कार को दिया जाता है जिसमें कुछ नया करने की, किसी चीज को ऐसे ढंग से करने की जो पहले कभी न हुई हो या किसी समस्या का ऐसा समाधान निकालने की जो पहले न ढूंढा गया हो, क्षमता हो। इसकी एक सीमित अवधि होती है और देश में यह अवधि पेटेंट की तिथि से शुरू होकर आने वाले बीस साल तक चलती है

Image Credit: my-lord.in

पेटेंट अधिनियम चार बार संशोधित हुआ

पेटेंट अधिनियम को अब चार बार संशोधित किया जा चुका है और साल 2005 में जब इसमें संशोधन हुआ था तो 'बोलर प्रावधान' शामिल किया गया था। यह 'बोलर प्रावधान' क्या है, इसकी क्या आवश्यकता है और इसे लेकर बहस क्यों होती आई है, आइए जानते हैं

Image Credit: my-lord.in

पेटेंट एक्ट का अपवाद

अगर किसी व्यक्ति के पास अपने आविष्कार का पेटेंट अधिकार होता है तो वो अपनी खोज को संरक्षित करके रख सकता है कि उसपर सिर्फ उसी का एकाधिकार हो। इस नियम के कुछ अपवाद भी होते हैं जिनके तहत एक थर्ड पार्टी पेटेंट किए गए आविष्कारों को बेच सकती है, उसका उपयोग कर सकती है या फिर उसे संशोधित कर सकती है

Image Credit: my-lord.in

Bolar Provision

यही अपवाद 'बोलर प्रावधान' है जो भारतीय पेटेंट्स अधिनियम, 1970 में 2005 में हुए संशोधन के तहत, धारा 107A में शामिल किया गया था। इस प्रावधान के तहत किसी नई आविष्कृत दवा या किसी आविष्कार को कानूनी परिणामों के डर के बिना किसी तीसरे पक्ष द्वारा आगे के विकास के लिए इस्तेमाल किया या बेचा जा सकता है

Image Credit: my-lord.in

दवाई की आवश्यकता हेतु

इस धारा में स्पष्ट किया गया है कि यदि समाज को किसी दवाई की आवश्यकता है और उसको लेकर जांच और प्रयोग होना जरूरी है, तो एक तीसरा पक्ष बिना पेटेंटेड ओनर की अनुमति के, पेटेंट पीरियड के दौरान ऐसा कर सकता है, यह प्रावधान फार्मास्यूटिकल और एग्रोकेमिकल प्रोडक्ट्स के लिए है

Image Credit: my-lord.in

पेटेंटेड प्रोडक्ट का प्रयोग कुछ शर्तों के साथ

तीसरा पक्ष बेशक पेटेंटेड प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर सकता है लेकिन उसके लिए भी कुछ शर्तों का पालन करना होगा। बिना किसी समझौते के तीसरे पक्ष को उस आविष्कार के अधिकार ट्रांसफर नहीं किये जाएंगे और पेटेंटेड ओनर तीसरी पार्टी पर अपने हिसाब से कुछ शर्तें और प्रतिबंध लगा सकता है

Image Credit: my-lord.in

बहस का विषय क्यों बना?

इसके पक्ष में ऐसा मानना है कि बोलर प्रावधान जेनरिक ड्रग मैन्युफैक्चरर्स को जल्दी मार्केट में एंट्री दिलाकर न सिर्फ प्रतियोगिता और नवीनता को बढ़ावा देता है बल्कि आम जनता को समय से, कम कीमत पर अच्छी और जरूरी दवाइयां मिल जाती हैं। जो लोग नाखुश हैं उनका कहना है कि इसने पेटेंट होल्डर्स के अधिकारों को कमजोर कर दिया है क्योंकि इसके तहत जेनरिक मैन्युफैक्चरर्स उनके उत्पादों की नकल कर सकते हैं और पेटेंट के एक्सपायर होने से पहले ही इसे कम कीमत पर बेच सकते हैं

Image Credit: my-lord.in

पढ़ने के लिए धन्यवाद!

Next: No Confidence Motion कब पेश किया जाता है?

अगली वेब स्टोरी