SEBI की स्थापना 12 अप्रैल 1988 को एक गैर-सांविधिक निकाय के रूप में की गई थी,
Image Credit: my-lord.inSEBI को कानूनी दर्जा और शक्तियां 30 जनवरी 1992 को SEBI अधिनियम, 1992 के पारित होने के बाद प्राप्त हुईं.
Image Credit: my-lord.inभारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) का कानूनी अधिकार निम्नलिखित नियमों और अधिनियमों के तहत तय हुआ,
Image Credit: my-lord.inसेबी अधिनियम, 1992 (SEBI Act, 1992): यह अधिनियम SEBI को कानूनी दर्जा देता है और इसके कार्यों, शक्तियों और उद्देश्यों को बताता है.
Image Credit: my-lord.inइस अधिनियम के तहत SEBI को निम्नलिखित प्रमुख अधिकार और कर्तव्य सौंपे गए हैं:
Image Credit: my-lord.in1) प्रतिभूतियों (सिक्योरिटीज़) के व्यापार को विनियमित करना. 2) प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों की सुरक्षा करना. 3) प्रतिभूतियों से संबंधित सभी प्रकार के बाजारों और बाजार मध्यस्थों का विनियमन करना.
Image Credit: my-lord.inप्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम, 1956 के तहत SEBI को स्टॉक एक्सचेंजों को मान्यता देने और उनके संचालन को विनियमित करने का अधिकार मिला.
Image Credit: my-lord.inयह अधिनियम स्टॉक एक्सचेंजों के कार्य और व्यापारिक व्यवहार के लिए नियम और दिशा-निर्देश निर्धारित करता है.
Image Credit: my-lord.inSEBI विभिन्न समयों पर नियम और विनियम बनाती है, जो कि इसके कार्यों और उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायक होते हैं. ये नियम और विनियम SEBI अधिनियम, 1992 के तहत बनाए जाते हैं.
Image Credit: my-lord.inडिपॉजिटरी अधिनियम, 1996 के तहत SEBI को डिपॉजिटरी और डिपॉजिटरी प्रतिभूतियों के विनियमन का अधिकार मिला. यह अधिनियम इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रतिभूतियों के रख-रखाव और स्थानांतरण को विनियमित करता है.
Image Credit: my-lord.inSEBI को मनी लॉन्ड्रिंग (रोकथाम) अधिनियम, 2002 के तहत प्रतिभूति बाजार में मनी लॉन्ड्रिंग की गतिविधियों को रोकने और जांच करने का अधिकार मिला.
Image Credit: my-lord.inइन अधिनियमों और नियमों के तहत SEBI को भारतीय पूंजी बाजार का विनियमन और नियंत्रण करने की शक्तियाँ प्राप्त होती हैं.
Image Credit: my-lord.inइसका मुख्य उद्देश्य प्रतिभूतियों के बाजार को पारदर्शी, निष्पक्ष और सुरक्षित बनाना और निवेशकों के हितों की रक्षा करना है.
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