जीरो FIR या E FIR, देश के नागरिक को, क्षेत्र विशेष से अलग, शिकायत दर्ज कराने की अनुमति देता है. साथ ही एक टाइमलाइन को मेंटेन रखता है पुलिस ने कितने दिनों में इस शिकायत पर कार्यन्वयन किया है.
Image Credit: my-lord.inभारत सरकार ने जीरो एफआईआर और ई-एफआईआर के माध्यम से शिकायत कराने पर आगे कैसे कार्रवाई की जानी चाहिए या किस तरह से कार्रवाई आगे बढ़ेगी, इसे लेकर SOP जारी किया है.
Image Credit: my-lord.inपहले अक्सर सुनने को मिल जाता था कि पुलिस ने 'घटनास्थल' को दूसरे पुलिस स्टेशन की सीमा क्षेत्र बताकर शिकायत लिखने से मना कर देता था. जीरो एफआईआर के आने से अब ऐसा नहीं होगा
Image Credit: my-lord.inBNSS की धारा 173(1) के अनुसार, कोई भी व्यक्ति, पुलिस स्टेशन की सीमा क्षेत्र की परवाह किए बिना, किसी भी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करा सकता है.
Image Credit: my-lord.inसंज्ञेय अपराध के होने से संबंधित प्रत्येक सूचना, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में किया गया हो, मौखिक रूप से या इलेक्ट्रॉनिक संचार द्वारा दी जा सकती है और यदि किसी पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को दी जाती है तो,
Image Credit: my-lord.inशिकायत पर पुलिस चौदह दिनों के भीतर प्रारंभिक जांच करेगी कि क्या आगे की कार्यवाही करने के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनता है या नहीं!
Image Credit: my-lord.inबीएनएसएस की धारा 173 के तहत प्राथमिक जांच के बाद प्रथम दृष्टतया मामला पाते हुए अधिकारी जीरो एफआईआर दर्ज करता है. एफआईआर नंबर के आगे 'जीरो' लगा होगा है जिससे पता चले कि यह जीरो एफआईआर है.
Image Credit: my-lord.inबीएनएसएस की धारा 173(2) की उपधारा (1) के अनुसार एफआईआर की एक कॉपी शिकायतकर्ता को निशुल्क दी जाएगी.
Image Credit: my-lord.inजीरो एफआईआर दर्ज होने के बाद, यदि आवश्यक हो, तो प्राथमिक जांच उसी पुलिस स्टेशन के जांच अधिकारी द्वारा की जा सकती है (जैसे बलात्कार पीड़िता की मेडिकल जांच)
Image Credit: my-lord.inअधिकारी जीरो एफआईआर को घटनास्थल पर अधिकार क्षेत्र वाले पुलिस स्टेशन को भेजना होगा. वहीं, जब संबंधित पुलिस स्टेशन जीरो एफआईआर प्राप्त करता है और इसे अपने रिकॉर्ड में नियमित एफआईआर के रूप में फिर से दर्ज करेगा. फिर सामान्य तौर ही प्रक्रिया पर आगे की कार्रवाई होगी.
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