तलाक मामले में परमानेंट एलिमनी कैसे तय होती है? सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से समझिए

Satyam Kumar

Source: my-lord.in | 21 Jul, 2024

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवाद का निपटारा करते हुए पति को पत्नी को परमानेंट सेटलमेंट करने पर दो करोड़ रूपये गुजारा भत्ते देने के आदेश दिए है.

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सुप्रीम कोर्ट ने गुजारा भत्ता तय करने को लेकर कहा कि भरण-पोषण या स्थायी गुजारा भत्ता दंडात्मक नहीं होना चाहिए, बल्कि पत्नी के लिए एक सभ्य जीवन स्तर सुनिश्चित करने के उद्देश्य से होना चाहिए.

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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजारा भत्ता तय करने को लेकर संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली विवेकाधिकार की शक्ति और रजनेश बनाम नेहा एवं अन्य मामले का जिक्र किया.

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संविधान की अनुच्छेद 142 के अनुसार सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र के अनुसार वैसे आदेश दे सकता है जो किसी मामले में पूर्ण न्याय के लिए आवश्यक हो.

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वहीं वैवाहिक विवाद के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रजनेश बनाम नेहा एवं अन्य मामले में दिए अपने पुराने फैसले को आधार बनाया.

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सुप्रीम कोर्ट ने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि स्थायी गुजारा भत्ता का उद्देश्य उद्देश्य दूसरे पति या पत्नी को दंडित करने के बजाय, विवाह की विफलता के कारण आश्रित पति या पत्नी को निराश्रित होने से बचाना है.

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न्यायालय इस बात पर जोर देता है कि भरण-पोषण राशि की गणना के लिए कोई निश्चित फॉर्मूला नहीं है; इसके बजाय, इसे विभिन्न कारकों के संतुलित विचार पर आधारित होना चाहिए;

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i) दोनों पक्षों (पति-पत्नी) की सामाजिक और वित्तीय स्थिति ii) पत्नी और आश्रित बच्चों की उचित जरूरतें iii) पक्षों की योग्यता और रोजगार की स्थिति iv) पक्षों के स्वामित्व वाली स्वतंत्र आय या संपत्ति v) वैवाहिक घर जैसा जीवन स्तर बनाए रखना vi) पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के लिए किए गए किसी भी रोज़गार का त्याग vii) गैर-कामकाजी पत्नी के लिए उचित मुकदमेबाज़ी का खर्च vii) पति की वित्तीय क्षमता, उसकी आय, भरण-पोषण की ज़िम्मेदारियाँ और देनदारियां

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उपरोक्त बिंदुओं पर विचार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत इस न्यायालय की शक्ति का प्रयोग करते हुए तलाक का आदेश दिया.

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वहीं एकमुश्त गुजारा भत्ते को तय करने को लेकर पति को 2 करोड़ राशि देने के निर्देश दिए हैं. पत्नी को ये राशि देने के लिए पति को चार महीने का समय भी दिया गया है.

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