Domestic Workers की सुरक्षा के लिए कानूनी प्रावधान

Ananya Srivastava

Image Credit: my-lord.in | 26 Jul, 2023

डोमेस्टिक हेल्प और क़ानून

लगभग हर घर में, साफ-सफाई, खाना बनाने इत्यादि कामों के लिए कुछ ऐसे लोगों को नौकरी पर रखा जाता है। इन डोमेस्टिक हेल्प, जो एक से ज्यादा घरों में काम करते हैं और यही इनकी कमाई का जरिया है, की सुरक्षा और देखभाल के लिए देश में क्या हैं कोई क़ानूनी प्रावधान? आइए जानते हैं

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राष्ट्रीय कानून बनाने की कोशिश

विधायिका द्वारा कई बार देश में डोमेस्टिक वर्कर्स की सेवाओं के विनियमन के लिए राष्ट्रीय कानून बनाने की कोशिश की है लेकिन हर बार, किन्हीं कारणों से इन्हें पारित नहीं किया जा सका

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विधायिका द्वारा असफल प्रयास

'घरेलू कामगार (सेवा की शर्तें) विधेयक, 1959' और 'घरेलू कर्मचारी (सेवा की शर्तें) विधेयक, 1989' वो पहले दो विधेयक हैं जिन्हें दुर्भाग्यवश पारित नहीं किया जा सका। इसके बाद 2004 में 'हाउजमेड्स एंड डोमेस्टिक वर्कर्स (सेवा की शर्तें और कल्याण) विधेयक, 2004' को राज्यसभा में एक निजी मेम्बर के बिल के रूप में इंट्रोड्यूस किया गया लेकिन यह भी पारित नहीं किया जा सका

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मौजूदा श्रम कानूनों में संशोधन

लगभग पांच साल बाद सरकार ने डोमेस्टिक वर्कर्स के लिए एक 'टास्क फोर्स' का गठन किया जिन्हें इनके अधिकारों से जुड़े एक नीतिगत ढांचे के लिए अनुशंसा करने का काम सौंपा गया। घरेलू कामगारों के लिए राष्ट्रीय नीति के मसौदे में मौजूदा श्रम कानूनों में संशोधन की सिफारिश करते हुए, इन कामगारों द्वारा किए जाने वाले घरेलू कामों को 'वैध श्रम बाजार गतिविधि' की पहचान देने की कोशिश की गई है

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न्यायपालिका का योगदान

घरेलू श्रमिकों के लिए देश में फिलहाल कोई ठोस कानून नहीं हैं, जिनमें विशेष रूप से डोमेस्टिक वर्कर्स की परेशानियों का समाधान हो, न्यायपालिका ने अपनी ओर से भी इनकी सुरक्षा और अधिकारों के संरक्षण हेतु कुछ कदम उठाए हैं

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दिल्ली HC द्वारा दिशानिर्देश

बचपन बचाओ बनाम भारत संघ मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने बाल कल्याण समिति और दिल्ली महिला आयोग को कुछ दिशानिर्देश दिए हैं, जिनका उद्देश्य डोमेस्टिक वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है लेकिन यह सिर्फ उनके लिए हैं जो दिल्ली में रहते और काम करते हैं

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सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को निर्देश

उच्चतम न्यायालय ने 'श्रमजीवी महिला समिति बनाम दिल्ली राज्य' (Shramjeevi Mahila Samiti Vs State of NCT of Delhi) मामले में केंद्र को निर्देश दिया था कि वो ऐसे राज्यों को कोई ग्रांट्स न दें जिन्होंने 'असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008' के तहत डोमेस्टिक वर्कर्स को पंजीकरण शुरू नहीं किया है

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असंगठित कामगारों की सुरक्षा

असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008' के तहत उन सभी वर्कर्स' की सुरक्षा और रख-रखाव हेतु प्रावधान हैं जो 'असंगठित लेबर' का हिस्सा हैं; इसमें घर के कामों में हाथ बँटाने वाली डोमेस्टिक हेल्प भी शामिल है। इस श्रेणी में आने वाले सभी वर्कर्स को इस अधिनियम के तहत एक स्मार्ट आइडेंटिटी कार्ड और एक यूनिक नंबर देने का प्रावधान है

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राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड

इस अधिनियम के तहत प्रावधानों को ठीक से लागू करने के लिए इसमें एक राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड और एक राज्य सामाजिक सुरक्षा बोर्ड की स्थापना की भी बात कही गई है, जो इन वर्कर्स के लिए योजनाओं को बनाएंगे

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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