देश में 'वैकल्पिक विवाद समाधान' (ADR) का भी ऑप्शन है जिनमें शामिल प्रक्रियाओं को कानून से मान्यता प्राप्त है और बिना अदालत जाए, इनके जरिए जनता न्याय पाया जा सकता है; आर्बिट्रेशन और मीडिएशन इसी श्रेणी का हिस्सा हैं
Image Credit: my-lord.in'माध्यस्थम' (Arbitration) में विवाद में फंसे दोनों पक्षों के लोग मिलकर, आपसी सहमति से, एक मध्यस्थ को चुनते हैं और वही विवाद को सुलझाता है; आमतौर पर बिजनेस अग्रीमेंट्स में माध्यस्थम का क्लॉज होता है
Image Credit: my-lord.inजिस कानून के तहत देश में माध्यस्थम की प्रक्रिया पूरी की जाती है, वो 'माध्यस्थम और सुलह अधिनियम, 1996' (The Arbitration and Conciliation Act, 1996) है; इसे 2003, 2015, 2019 और 2021 में संशोधित किया गया
Image Credit: my-lord.in'मध्यस्थता' (Mediation) ये एक स्वैच्छिक, बाध्यकारी प्रक्रिया है जिसमें एक निष्पक्ष और तटस्थ मध्यस्थ विवादित पक्षों को समझौते पर पहुंचने में मदद करता है, अपना फैसला पक्षकारों पर थोपता नहीं है
Image Credit: my-lord.inबता दें कि देश में मध्यस्थता को लेकर कोई एकीकृत विधान नहीं है लेकिन कुछ दिन पहले ही लोक सभा और राज्यसभा, दोनों सदनों में मध्यस्थता विधेयक, 2021 (The Mediation Bill, 2021) पारित किया जा चुका है
Image Credit: my-lord.inमाध्यस्थम की प्रक्रिया औपचारिक है जिसमें लिया गया फैसला पक्षकारों पर उसी तरह बाध्य होता है जैसे एक अदालत का फैसला माना जाता है जबकि मध्यस्थता काफी अनौपचारिक है और इसमें लिए गए फैसले को मानना पक्षकारों के लिए जरूरी नहीं होता है
Image Credit: my-lord.inबता दें कि आर्थिक रूप से पक्षकार आर्बिट्रेशन की जगह मीडिएशन को चुनते हैं क्योंकि यह ज्यादा सस्ता होती है, साथ ही, इसकी प्रक्रिया काफी लचीली होती है और पक्षकार मध्यस्थ की मौजूदगी में आपस में बातचीत कर सकते हैं जो ऑप्शन माध्यस्थम में नहीं होता है
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