पुलिस का नाम सुनकर ही हर किसी के पसीने छूट जाते हैं. कोई भी किसी भी तरीके से पुलिस के मामले में नहीं पड़ना चाहता है.
Image Credit: my-lord.inलेकिन आज कल ऐसी कई घटनाएं देखने को मिलती हैं, जहां पुलिस अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करती है और निर्दोष व्यक्तियों को कारावास में बंद करती है, तो कई बार पूछताछ और जांच के बहाने अवैध रूप से हिरासत में ले लेती है.
Image Credit: my-lord.inऐसी कार्रवाई के समय, वह ऐसा जताते हैं कि यह सब न्याय और नियम के अनुसार ही हो रहा है. तो आज हम आपको बता दें कि भारतीय कानून के अंतर्गत, इस तरह की कार्यवाही एक अपराध है.
Image Credit: my-lord.inभारतीय दंड सहिंता की धारा 220 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी सम्मानित पद या कार्यालय में होने के नाते अगर उस पद का गलत इस्तेमास करता है और वह किसी भी व्यक्ति पर मुकदमे करता है या कैद में रखता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.
Image Credit: my-lord.inIPC की धारा 220 के तहत दोषी पाए जाने पर अपराधी व्यक्ति को 7 साल जेल की सजा और जुर्माने की सजा या दोनों सज़ा से दण्डित किया जा सकता है.
Image Credit: my-lord.inIPC की धारा 220 के तहत अपराध साबित करने के लिए अपराध में इन 3 तत्वों का होना अनिवार्य है: 1. व्यक्ति के पास अधिकार है कि वह किसी व्यक्ति को मुकदमे के लिए भेज सकता है या उसे कारावास में कर सकता है. 2. बिना किसी उचित कारण के गिरफ्तार करना. 3. किसी दूसरे को हानि पहुंचाने के इरादे से मुकदमा दर्ज करना.
Image Credit: my-lord.inIPC की धारा 220 के अनुसार अपराधी को बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है, ऐसे व्यक्ति को दंडित किया जाता है जो अपने अधिकारों का दुरुपयोग करता है और निर्दोष व्यक्ति को कारावास में बंद करता है, तो ऐसे अधिकारी को सख्त सज़ा का सामना करना पड़ सकता है.
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