POCSO Act एक ऐसा कानून है जिसका उद्देश्य नाबालिग बच्चों को सभी प्रकार के यौन शोषण से बचाना है और बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों के जांच के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना और उनसे जुड़े मामलों के लिए प्रावधान बनाना है.
Image Credit: my-lord.inबच्चों के खिलाफ किसी भी तरह के यौन अपराध जैसे पेनेट्रेटिव यौन हमला, उग्र पेनेट्रेटिव यौन हमला, यौन हमला, उग्र यौन हमला, यौन उत्पीड़न आदि के लिए POCSO ACT के Chapter II में सज़ा का प्रावधान है.
Image Credit: my-lord.inजो कोई भी, मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, कंप्यूटर या किसी अन्य तकनीक) जैसे किसी भी माध्यम से बच्चे का उपयोग पोर्नोग्राफी के उत्पादन, पेशकश, प्रसारण, प्रकाशन, सुविधा और वितरण के लिए करता है, वह कानून की नज़रों में अपराधी है.
Image Credit: my-lord.inयदि कोई व्यक्ति अपराध को बढ़ावा देता है या किसी भी व्यक्ति को वह अपराध करने के लिए उकसाता है या उस अपराध के षड़यंत्र में अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ शामिल होता है, तो उसे POCSO ACT केChapter IV के आधार पर अपराध के लिए दिए गए किसी भी विवरण से दंडित किया जा सकता है.
Image Credit: my-lord.inPOCSO ACT के तहत लैंगिक समानता का प्रावधान, बाल शोषण के मामलों की अनिवार्य रिपोर्टिंग, पीड़ित की पहचान की गोपनीयता, बच्चों के अनुकूल जांच और परीक्षण आदि जैसी विशेषताएं शामिल हैं जो इस अधिनियम को बाकि अधिनियमों से अलग बनाती है.
Image Credit: my-lord.inPOCSO ACT धारा 21 के तहत नाबालिग बच्चों के खिलाफ यौन अपराध की जानकारी होने के बावजूद पुलिस को सूचित ना करना एक गंभीर अपराध है . CrPC, 1973 (1974 का 2) के अनुसार कोई भी व्यक्ति, जिसे यह आशंका है कि POCSO ACT धारा 3, 5, 7, 9 और धारा 11 के तहत अपराध किया गया है, वह स्थानीय पुलिस को जानकारी देने के लिए बाध्य है.
Image Credit: my-lord.inबच्चों के बयान महिला पुलिस अधिकारी द्वारा बच्चे के घर पर दर्ज हो, बयान दर्ज करते समय पुलिस अधिकारी वर्दी में नहीं होंगे, बालक/बालिका से पूछताछ करते समय यह सुनिश्चित हो कि वह किसी भी समय आरोपी के संपर्क में न आए, बच्चे को किसी भी कारण से रात के समय थाने में नहीं रखा जायेगा, और बच्चे की पहचान को सार्वजनिक मीडिया से सुरक्षित रखा जाए.
Image Credit: my-lord.inनाबालिग बच्चों के साथ किसी तरह के sexual बर्ताव के मामलों की सुनवाई स्पेशल कोर्ट में होती है. शीघ्र सुनवाई करने के उद्देश्य से, राज्य सरकार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से, आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, प्रत्येक जिले में एक सत्र न्यायालय को एक विशेष न्यायालय के तहत अपराधों की सुनवाई करने के लिए नामित करती है.
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