क्या है POCSO ACT? कैसे होती है कार्यवाही

My Lord Team

Image Credit: my-lord.in | 16 Jan, 2023

POCSO Act क्या है

POCSO Act एक ऐसा कानून है जिसका उद्देश्य नाबालिग बच्चों को सभी प्रकार के यौन शोषण से बचाना है और बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों के जांच के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना और उनसे जुड़े मामलों के लिए प्रावधान बनाना है.

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बच्चों के खिलाफ यौन अपराध

बच्चों के खिलाफ किसी भी तरह के यौन अपराध जैसे पेनेट्रेटिव यौन हमला, उग्र पेनेट्रेटिव यौन हमला, यौन हमला, उग्र यौन हमला, यौन उत्पीड़न आदि के लिए POCSO ACT के Chapter II में सज़ा का प्रावधान है.

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पोर्नोग्राफी के लिए बच्चे का उपयोग करना

जो कोई भी, मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, कंप्यूटर या किसी अन्य तकनीक) जैसे किसी भी माध्यम से बच्चे का उपयोग पोर्नोग्राफी के उत्पादन, पेशकश, प्रसारण, प्रकाशन, सुविधा और वितरण के लिए करता है, वह कानून की नज़रों में अपराधी है.

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बच्चों के प्रति अपराध करने के लिए उकसाना और उसका प्रयास करना

यदि कोई व्यक्ति अपराध को बढ़ावा देता है या किसी भी व्यक्ति को वह अपराध करने के लिए उकसाता है या उस अपराध के षड़यंत्र में अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ शामिल होता है, तो उसे POCSO ACT केChapter IV के आधार पर अपराध के लिए दिए गए किसी भी विवरण से दंडित किया जा सकता है.

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POCSO ACT की विशेषताएं

POCSO ACT के तहत लैंगिक समानता का प्रावधान, बाल शोषण के मामलों की अनिवार्य रिपोर्टिंग, पीड़ित की पहचान की गोपनीयता, बच्चों के अनुकूल जांच और परीक्षण आदि जैसी विशेषताएं शामिल हैं जो इस अधिनियम को बाकि अधिनियमों से अलग बनाती है.

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यौन उत्पीड़न के मामलों को दर्ज कराना है जरूरी

POCSO ACT धारा 21 के तहत नाबालिग बच्चों के खिलाफ यौन अपराध की जानकारी होने के बावजूद पुलिस को सूचित ना करना एक गंभीर अपराध है . CrPC, 1973 (1974 का 2) के अनुसार कोई भी व्यक्ति, जिसे यह आशंका है कि POCSO ACT  धारा 3, 5, 7, 9 और धारा 11 के तहत अपराध किया गया है, वह स्थानीय पुलिस को जानकारी देने के लिए बाध्य है.

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बच्चों के बयान दर्ज करने के निर्देश

बच्चों के बयान महिला पुलिस अधिकारी द्वारा बच्चे के घर पर दर्ज हो, बयान दर्ज करते समय पुलिस अधिकारी वर्दी में नहीं होंगे, बालक/बालिका से पूछताछ करते समय यह सुनिश्चित हो कि वह किसी भी समय आरोपी के संपर्क में न आए, बच्चे को किसी भी कारण से रात के समय थाने में नहीं रखा जायेगा, और बच्चे की पहचान को सार्वजनिक मीडिया से सुरक्षित रखा जाए.

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स्पेशल कोर्ट में होती है सुनवाई

नाबालिग बच्चों के साथ किसी तरह के sexual बर्ताव के मामलों की सुनवाई स्पेशल कोर्ट में होती है. शीघ्र सुनवाई करने के उद्देश्य से, राज्य सरकार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से, आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, प्रत्येक जिले में एक सत्र न्यायालय को एक विशेष न्यायालय के तहत अपराधों की सुनवाई करने के लिए नामित करती है.

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