केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने CJI डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए बने कॉलेजियम में सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल करने का सुझाव दिया है.
Image Credit: my-lord.inरिजिजू ने अपने पत्र में कहा कि पारदर्शिता और सार्वजनिक जवाबदेही को बढ़ाने के लिए ये जरूरी कदम है. कानून मंत्री ने कहा है कि 'वह न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली से संतुष्ट नहीं हैं, और उन्होंने NJAC को फिर से शुरू करने की भी वकालत की है.'
Image Credit: my-lord.inरिजिजू के अनुसार, 'न्यायाधीशों को चुनने में सरकार द्वारा निभाई गई भूमिका महत्वपूर्ण थी, क्योंकि स्वयं न्यायाधीशों के पास रिपोर्ट और अन्य जानकारी तक पहुंच नहीं होती है, जो सरकार करती है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों को मंजूरी देने से पहले उन्होंने उचित परिश्रम नहीं किया तो वह अपनी जिम्मेदारी निभाने से चूक जाएंगे.'
Image Credit: my-lord.inजस्टिस एसके कौल और अभय एस ओका की खंडपीठ के अनुसार, "सरकार कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिशों पर अपनी आपत्तियों को व्यक्त कर सकती है, लेकिन यह बिना किसी आरक्षण के नामों को वापस नहीं ले सकती."
Image Credit: my-lord.inनवंबर 2022, CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने इस विवाद पर कहा कि संवैधानिक लोकतंत्र में कोई भी संस्था शत प्रतिशत परिपूर्ण नहीं होती है, और न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए अपनाई जाने वाली कॉलेजियम प्रणाली को अलग नहीं किया जा सकता है.
Image Credit: my-lord.inकॉलेजियम प्रणाली वरिष्ठता के आधार पर न्यायाधिशों का एक समूह है - जो उच्च न्यायपालिका में नियुक्तियों और न्यायाधीशों के स्थानांतरण का निर्णय लेते हैं. सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम की अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) करते हैं, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं.
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