एक मामले की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि सही उम्र का पता लगाने के लिए 'किशोर न्याय अधिनियम' के तहत स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट का सहारा नहीं लिया जा सकता है
Image Credit: my-lord.inआपकी जानकारी के लिए बता दें कि जेजे अधिनियम के तहत टीसी का इस्तेमाल न करने की बात उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एस रवींद्र भट्ट और न्यायाधीश अरविंद कुमार की पीठ ने कही है
Image Credit: my-lord.inअदालत ने एक नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न और कथित तौर पर उनके बाल विवाह को बढ़ावा देने के लिए बुक किए गए एक व्यक्ति की दोषसिद्धि और सजा को रद्द कर दिया
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मद्रास उच्च न्यायालय ने डॉक्टर की बात को खारिज करके कि पीड़िता की उम्र 19 साल है, स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट के आधार पर उम्र का जो फैसला किया, वो गलत था
Image Credit: my-lord.inजेजे एक्ट की धारा 94 के अनुसार अगर पॉक्सो एक्ट के तहत पीड़ित की उम्र का पता स्कूल बर्थ सर्टिफिकेट, मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट या फिर पंचायत, नगरपालिका प्राधिकरण या निगम द्वारा दिए बर्थ सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करना चाहिए
Image Credit: my-lord.inऊपर बताए गए कोई भी प्रमाण पत्र अगर नहीं हैं तो सही उम्र का पता ऑसिफिकेशन टेस्ट या कोई अन्य नवीनतम चिकित्सा आयु निर्धारण परीक्षण के जरिए भी लगाया जा सकता है
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