Swati Maliwal Case: सोशल मीडिया ट्रोलिंग को इग्नोर करना ही बेहतर: सुप्रीम कोर्ट

Satyam Kumar

Image Credit: my-lord.in | 03 Sep, 2024

सोशल मीडिया ट्रोलिंग

सोशल मीडिया ट्रोलिंग के फैशन पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है.

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जजों को भी नहीं बख्शा जाता

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब जजों को भी नहीं बख्शा जाता है. सोशल मीडिया ट्रोलिंग 'नृशंस' है. ऐसे असंवेदनशील व गैर-जिम्मेदार लोगों को नजरअंदाज करना ही बेहतर है.

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सुप्रीम कोर्ट

ये बातें स्वाति मालीवाल मामले के आरोपी विभव कुमार द्वारा दायर जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहीं.

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पीड़िता को ट्रोल

अदालत में मालीवाल की ओर से पेश वकील ने शिकायत की कि घटना के बाद से ही सोशल मीडिया पर पीड़िता को ट्रोल का सामना करना पड़ रहा है.

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विभव कुमार

इस दलील का वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने विरोध करते हुए कहा कि विभव 'X ' को नियंत्रित नहीं करता है. हालांकि, पीठ ने मालीवाल की शिकायत पर सहानुभूति जताई.

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सोशल मीडिया ट्रोलिंग

जस्टिस भुइयां ने कहा कि सोशल मीडिया में ट्रोलिंग वास्तव में नृशंस है. जज भी ट्रोल किए जाते हैं. हम किसी के पक्ष में आदेश पारित करते हैं, तो दूसरा पक्ष जज को ट्रोल कर देता है.

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नजरअंदाज करना बेहतर

इस पर पीठ की अगुवाई कर रहे जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ऐसे मामलों को अनदेखा करना बेहतर है.

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गैर-जिम्मेदार लोग

जस्टिस ने आगे कहा कि गैर-जिम्मेदार लोगों का एक बड़ा वर्ग, दुर्भाग्य से उन्हें इस मंच तक पहुंच मिल गई है. वे पूरी तरह से असंवेदनशील और अपने कर्तव्यों से अवगत नहीं हैं.

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