शुक्रवार को सीजेआई और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की पीठ ने अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से मामले को मेंशन करते हुए पीठ से अनुरोध किया कि बहुविवाह और निकाह हलाला के मामले की सुनवाई पीठ के 5 में से 3 सदस्यों के सेवानिवृत होने के चलते लंबित है, इसलिए याचिकाओं पर सुनवाई के लिए नयी संविधान पीठ गठित करने की जरूरत है.
Image Credit: my-lord.inपहली बार यह मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जुलाई 2018 आया था. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के 5 जज जस्टिस इंदिरा बनर्जी, हेमंत गुप्ता, सूर्यकांत, एमएम सुंदरेश और सुधांशु धूलिया की पीठ ने 30 अगस्त 2022 को सुनवाई की थी. सुनवाई के कुछ समय बादद ही जस्टिस इंदिरा बनर्जी 23 सितंबर 2022 को और जस्टिस हेमंत गुप्ता 16 अक्टूबर 2022 को सेवानिवृत हो गए थे.
Image Credit: my-lord.inभाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर करते हुए मुस्लिमों में बहुविवाह और निकाह हलाला की प्रथा को असंवैधानिक और अवैध घोषित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. 8 याचिकाओं में एक जनहित याचिका अश्विनी उपाधाय की है.
Image Credit: my-lord.inबहुविवाह तब होता जब एक पुरुष एक साथ कई महिलाओं से शादी करता है और सबका पति होता है. भारत में बहुविवाह 1956 में सभी नागरिकों के लिए समान रूप से अवैध हो गया पर मुस्लिम समाज को छोड़ कर जो एक मुस्लिम पुरुष को चार पत्नियां रखने की अनुमति देती है.
Image Credit: my-lord.in'निकाह हलाला' उस प्रक्रिया से संबंधित है, जिसमें एक मुस्लिम महिला, जो तलाक के बाद अपने पति से दोबारा शादी करना चाहती है, तो उसे पहले किसी अन्य व्यक्ति से शादी करनी होती है और शादी के बाद उससे तलाक लेना होता है.
Image Credit: my-lord.inमुस्लिम बहु-विवाह और निकाह हलाला की प्रथा पर बैन लगाने की मांग को लेकर दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है. सीजेआई ने कहा पांच जजों की बेंच के सामने अभी कई महत्वपूर्ण मामले लंबित हैं, हम एक बेंच का गठन करेंगे और सुनवाई करेंगे.
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