आज सुप्रीम कोर्ट में एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान हिंदी में दलील देने पर सुप्रीम कोर्ट ने एक शख्स से आपत्ति जाहिर की.
Image Credit: my-lord.inयाचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट को अपने केस के बारे में बताया और इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का जिक्र किया.
Image Credit: my-lord.inयाचिकाकर्ता की दलील पूरी होने पर जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने संयमित भाव में याचिकाकर्ता से कहा कि वे हिंदी में अदालत में दलील नहीं दे सकते हैं.
Image Credit: my-lord.inजस्टिस ने कहा कि अदालत की कार्यवाही की भाषा अंग्रेजी है, आप व्यक्तिगत तौर पर पेश हुए हैं, इसलिए हमने आपको रोका नहीं,
Image Credit: my-lord.inताकि आप जो कहना चाहें वह कह सकें. आपको हिंदी में दलील देने से पहले यह पता करना चाहिए था कि अदालत आपकी बात समझने में सक्षम है या नहीं
Image Credit: my-lord.inजस्टिस की बात से व्यक्ति सहमति होते हुए व्यक्ति ने अपनी दलील अंग्रेजी में रखी.
Image Credit: my-lord.inबता दें कि संविधान के अनुच्छेद 348 कहती है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में कार्यवाही की भाषा हिंदी है, जब तक कि संसद इसमें कोई संशोधन ना करें.
Image Credit: my-lord.inबता दें कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट को भाषा की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, तब जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की खंडपीठ ने याची को बताया कि अदालत की भाषा अंग्रेजी है.
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