सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऑफिस में काम से संबंधित गलतियों के लिए पड़ी बॉस से पड़ी डांट-फटकार को भारतीय दंड संहिता की धारा 504 के तहत आपराधिक अपराध नहीं माना जा सकता है.
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय संस्थान के निदेशक के खिलाफ आपराधिक मामले को खारिज करते हुए कहा कि अनुशासन बनाए रखने की कोशिशों के लिए आपराधिक आरोपों का सामना करना कार्यस्थल के अनुशासनात्मक माहौल को नष्ट कर सकता है.
Image Credit: my-lord.inअदालत ने राष्ट्रीय मानसिक विकलांगता सशक्तिकरण संस्थान (NIEPID) के निदेशक के खिलाफ मामले को खारिज कर दिया, जिन्होंने कार्य में मिलती शिकायतों के बाद एक कर्मचारी को डांट लगाया था.
Image Credit: my-lord.inयह मामला तब घटित हुआ, जब छात्रों के अभिभावकों ने उस कर्मचारी की कार्य में लापरवाही की शिकायत की थी। न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामलों में अनुशासन बनाए रखना आवश्यक है, अन्यथा कार्यस्थल का माहौल बिगड़ जाएगा.
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने कहा, अनुशासन बनाए रखने के लिए कार्रवाई आवश्यक है, शिकायतों का समाधान करना आवश्यक है अन्यथा अनुशासन भंग हो सकता है.
Image Credit: my-lord.inकोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि 'सिर्फ अपशब्द, असभ्यता या अभद्रता' को जानबूझकर अपमान नहीं माना जा सकता है, जब तक कि अपमान का इरादा न हो और यदि आरोपी का अपमान देने का इरादा नहीं है, तो आईपीसी की धारा 504 के तहत अपराध नहीं बनता.
Image Credit: my-lord.inकोर्ट ने कहा कि यदि नियोक्ता या वरिष्ठ अधिकारी (Senior Employee) कर्मचारी के कार्य प्रदर्शन पर सवाल नहीं उठाते हैं, तो इससे अन्य कर्मचारियों की अनुशासनहीनता (Employee's Misconduct) को बढ़ावा मिल सकता है.
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