1947 में देश आजाद हुआ. तब जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने सबसे पहला काम, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और जजों की सैलरी में संशोधन करने का किया था.
Image Credit: my-lord.in1950 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की सैलरी लगभग 5000 रुपये प्रतिमाह थी, वहीं, उच्चतम न्यायालय के जजों और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की सैलरी 4000 रुपये महीने की गई.
Image Credit: my-lord.inपैसे कम होने पर आपत्ति जताई गई. आपत्ति के बाद, रेंट फ्री आवास, गाड़ियों की सुविधाएं के अलावे अन्य एलाउंस भी गई है.
Image Credit: my-lord.inसाल 1950 से 1985 तक सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अथवा जजों की सैलरी में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई.
Image Credit: my-lord.inसाल 1986 में पहली बार संविधान संशोधन कर जजों की सैलरी में इजाफा किया गया. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सैलरी 10000 रूपये प्रतिमाह किया गया.
Image Credit: my-lord.inजबकि सुप्रीम कोर्ट के जज और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की सैलरी 9000 रुपये प्रतिमाह तय हुई. इसी तरह हाई कोर्ट के जजों की सैलरी 8000 प्रतिमाह निर्धारित की गई.
Image Credit: my-lord.inफिलहाल भारत के मुख्य न्यायाधीश यानी चीफ जस्टिस ऑफ इंडियाको हर महीने 2,80,000 लाख रुपए की सैलरी मिलती है. साथ में अन्य अलाउंसेस भी दी जाती है.
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