संपत्ति विवाद में 'रिसीवर' का रोल

Satyam Kumar

Image Credit: my-lord.in | 30 Apr, 2025

जब दो लोगों में जमीन-संपत्ति के मालिकाना हक को लेकर विवाद होता है, तो लोग अदालत के पास जाते हैं.

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और जहां भी अदालत यह पाती है कि मुकदमे के विषय वस्तु वाली संपत्ति को किसी भी पक्ष के पास रखना उचित नहीं होगा,

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तो उस विवाद के जारी रहने तक अदालत संपत्ति-जमीन से जुड़ी एक्टिविटी से दोनों पक्षों को दूर रखती है.

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और जब तक इसका निपटारा नहीं हो जाता, तब तक अदालत एक स्वतंत्र और निष्पक्ष तीसरे पक्ष 'रिसीवर' को नियुक्त कर सकती है.

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रिसीवर उस संपत्ति से होनेवाली आय, रखरखाव और संपत्ति से जुडे़ अन्य कार्यों को देखता है.

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दूसरे शब्दों में रिसीवर की हिरासत में मौजूद संपत्ति 'कस्टोडिया लेजिस' अर्थात कानून या अदालत की हिरासत में होती है.

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वहीं, रिसीवर को संपत्ति के वास्तविक मालिक के समान सभी अधिकार प्राप्त हैं, लेकिन वह हमेशा अदालत की देखरेख में कार्य करता है.

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रिसीवर न तो वादी और न ही प्रतिवादी, बल्कि एक निष्पक्ष और तटस्थ व्यक्ति के रूप में कार्य करता है.

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एंथोनी सी लियो बनाम नंदलाल बालकृष्णन मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिए फैसले के अनुसार, रिसीवर अदालत का एक अधिकारी है जो संपत्ति के सामान्य हित में कार्य करता है.

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