Pregnant Sexual Assault Survivors से जुड़े Delhi HC के दिशानिर्देश

Ananya Srivastava

Image Credit: my-lord.in | 11 Aug, 2023

दिल्ली हाईकोर्ट में मामला

दिल्ली उच्च न्यायालय में नाबालिग लड़की के साथ यौन शोषण के आरोपी ने जमानत याचिका दायर की जिसे अदालत ने खारिज कर दिया; पीड़िता का आरोपी ने कई बार रेप किया और उसे गर्भवती भी कर दिया

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गर्भवती यौन शोषण पीड़िताओं के लिए दिशानिर्देश

दिल्ली हाईकोर्ट ने कुछ विशेष दिशानिर्देश जारी किये हैं जिनका पुलिस और डॉक्टरों को गर्भवती यौन शोषण पीड़िताओं से डील करते समय पालन करना होगा

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मौजूदा दिशानिर्देशों और SOPs का प्रसार

केंद्र और राज्य, दोनों स्तर पर निर्देश दिया गया है कि दिल्ली के सभी अस्पतालों में यौन उत्पीड़न के पीड़ितों की जांच के लिए मौजूदा दिशानिर्देश/मानक संचालन प्रक्रिया प्रसारित किये जाने को उन्हें सुनिश्चित करना होगा

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जजमेंट के संबंध में अतिरिक्त दिशानिर्देश

मंत्रालयों को यह निर्देश भी दिया गया है कि गर्भवती पीड़िता हेतु अबॉर्शन का आदेश और भ्रूण संरक्षण का आदेश है, तो जांच अधिकारी इसकी सूचना अस्पताल के अधीक्षक को देगा जो सुनिश्चित करेंगे कि संबंधित डॉक्टर सावधानी के साथ इसका पालन करे

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24 घंटों के अंदर पीड़िता को अस्पताल में पेश किया जाएगा

यौन शोषण के मामले में अबॉर्शन के लिए पीड़िता को ऑर्डर के 24 घंटों के अंदर अस्पताल में पेश किया जाना चाहिए, तब भी, जब गर्भावस्था 20 हफ्तों से कम की होगी

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भ्रूण का संरक्षण

संबंधित चिकित्सक सुनिश्चित करेंगे कि भ्रूण को संरक्षित किया गया है और पीड़िता को जल्दबाजी में डिस्चार्ज नहीं किया जा रहा है; जिससे पीड़िता की जान को खतरा हो सकता है और एक यौन शोषण के मामले में साक्ष्य खो सकते हैं

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अबॉर्शन के बिना डिस्चार्ज के कारणों को दर्ज करना

अगर यौन शोषण की पीड़िता को अबॉर्शन किये बिना अस्पताल से छुट्टी दी जाती है तो संबंधित डॉक्टर यह भी लिखित में स्पष्ट करेंगे कि इसके पीछे कारण क्या हैं, जिससे भ्रूण जैसे महत्वपूर्ण साक्ष्य न खोएं

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अबॉर्शन हेतु ट्रीटमेंट की जानकारी दर्ज करना

यह डॉक्टर का कर्तव्य, उनकी जिम्मेदारी होगी कि वो विस्तार से उस ट्रीटमेंट का उल्लेख करें जो पीड़िता को दिया जा रहा हो, इसमें पीड़िता के अबॉर्शन और उनको दी जाने वाली दवाइयों के बारे में भी लिखना है

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हस्तलिखित एमएलसी के साथ उसकी टाइप्ड कॉपी जरूरी

अस्पताल से मिलने वाले हस्तलिखित मेडिको-लीगल सर्टिफिकेट (MLC) के साथ उसकी एक टाइप्ड कॉपी अटैच करना जरूरी है और ये टाइप्ड कॉपी जांच अधिकारी के पास एक हफ्ते के अंदर आ जानी चाहिए

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इलेक्ट्रॉनिक मोड से भेजें टाइप्ड MLC

एमएलसी की टाइप की हुई जिस कॉपी की बात हो रही है, उसे जांच अधिकारी को इलेक्ट्रॉनिक मोड से भी भेजा जा सकता है जिससे जांच अधिकारी और संबंधित अस्पताल, दोनों का समय बचे

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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