टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर यूपी और उत्तराखंड सरकार के उस फैसले को चुनौती दी है,
Image Credit: my-lord.inजिसमें उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने निर्देशों में कथित तौर पर वार्षिक कांवड़ यात्रा के मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों के मालिकों को अपने कर्मचारियों के नाम, पते और मोबाइल नंबर सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने को कहा गया है.
Image Credit: my-lord.inयाचिकाकर्ता (महुआ मोइत्रा) ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि राज्य का वैध उद्देश्य आहार विकल्पों के लिए सम्मान सुनिश्चित करना और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखना है,
Image Credit: my-lord.inउक्त उद्देश्यों और तीर्थयात्रा मार्ग पर खाने के प्रतिष्ठानों के मालिकों और कर्मचारियों के नामों के अनिवार्य प्रकटीकरण के बीच कोई तर्कसंगत संबंध नहीं है.
Image Credit: my-lord.inऐसी कई घटनाएं हुई हैं जहां गैर-मुस्लिम खाद्य उद्यमी कांवड़ यात्रियों द्वारा आवश्यक आहार प्रतिबंधों का पालन करने में विफल रहे हैं
Image Credit: my-lord.inयाचिका में तहसीन पूनावाला बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का जिक्र किया गया है,
Image Credit: my-lord.inजिसमें हेट क्राइम को रोकने के लिए राज्य के दायित्व को स्पष्ट किया है तथा भीड़ द्वारा हिंसा और लिंचिंग से निपटने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए है. हालांकि महुऐ मोइत्रा की याचिका पर अभी सुनवाई होनेवाली है.
Image Credit: my-lord.inवहीं बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने नेमप्लेट से जुड़ी एक याचिका पर अपने दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं.
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के फैसले को पलटते हुए दुकानदारों को दिशानिर्देश जारी किए हैं, कि वे केवल भोजन के प्रकार (शाकाहारी या मांसाहारी) जारी किए हैं, उन्हें अपना नाम लिखने की जरूरत नहीं है.
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