अक्सर राजनेता ED के समन की अनदेखी करते सुने जाते हैं. भले ही वे इसे राजनीतिक तौर पर प्रेरित बताएं. लेकिन ED के समन की अनदेखी करने पर वे बड़ी मुश्किल में भी पड़ सकते हैं.
Image Credit: my-lord.inED ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को आठवां समन भेजा. ED उन्हें आबकारी घोटाले में पूछताछ करने के लिए बुला रही है.
Image Credit: my-lord.inED ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के उपर भी ED के समन का अनदेखी करने के आरोप लगे हैं. ED के समन की अवमानना करने पर क्या कानूनी कार्रवाई हो सकती हैं.
Image Credit: my-lord.inप्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के सेक्शन 50 क्लाज तीन के तहत ED के पास जांच के दौरान किसी भी व्यक्ति को समन करने का अधिकार है.
Image Credit: my-lord.inइसके अनुसार 'समन पर बुलाये गए व्यक्ति के लिए स्वयं या अपने एजेंट के ज़रिए' जांच में शामिल होने की आशा की जाती है. साथ ही संबंधित मामले पर बयान देना और मांगे गए दस्तावेजों को देना अनिवार्य होता है.
Image Credit: my-lord.inइस कानून के तहत दिए गए बयानों को अदालत के समक्ष शपथपत्र माना जाता है.
Image Credit: my-lord.inअगर ऐसी धाराएं लगाई गई हैं, जिनमें सात साल से कम सजा का प्रावधान हो तो पहले समन किया जाता है और जरूरत होने पर गिरफ्तार किया जाता है.
Image Credit: my-lord.inमामलों के विशेषज्ञ के अनुसार, भले ही समन किये गये व्यक्ति को सीधे तौर पर उन्हें गिरफ्तार ना किया जाए लेकिन ये जरूर माना जा सकता है कि वो जानबूझकर जांच में सहयोग नहीं कर रहे है. इसे आधार बनाकर गिरफ्तारी हो सकती है.
Image Credit: my-lord.inसमन की ऐसी कोई तय संख्या नहीं है, जिनके नज़रअंदाज़ करने के बाद गिरफ़्तारी अनिवार्य हो जाती है. ये ईडी पर निर्भर करता है कि वो गिरफ़्तारी करना चाहती है या नहीं.
Image Credit: my-lord.inजांच के दौरान अगर ED को लगता है कि समन किया गया व्यक्ति अपराध में शामिल है, तो चश्मदीद को भी अभियुक्त में बदला जा सकता है.
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