Contempt of Court मामले में अधिकतम सजा

Satyam Kumar

Image Credit: my-lord.in | 21 Apr, 2025

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के बयान ने देश में नई बहस छेड़ दी है. बीजेपी सांसद ने कहा कि देश में हो रहे गृहयुद्धों के लिए देश के सीजेआई जिम्मेदार है.

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प्रतिक्रिया वक्फ संशोधन पर चल रही सुनवाई के बाद बीजेपी सांसद ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो संसद को बंद कर दिया जाए.

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इस बयान को आपत्तिजनक बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी सांसद के खिलाफ अदालत की अवमानना का मुकदमा चलाने की मांग की गई है,लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अटॉर्नी जनरल की मंजूरी लेने को कहा है,

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वहीं, अदालत की अवमानना अधिनियम की धारा 15 (1) b के तहत सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल को चिट्ठी लिखकर अदालत की अवमानना का मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है. आइये जानते हैं कि कानून के अनुसार, अदालत की अवमानना मामले में कितनी अधिकतम सजा का प्रावधान है..

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अदालत की अवमानना अधिनियम 1971 के अनुसार, अदालत की अवमानना को अधिकतम छह महीने के साधारण कारावास या अधिकतम दो हजार रुपये के जुर्माने, या दोनों से दंडित किया जा सकता है.

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हालांकि, अदालत को यह अधिकार है कि वे माफी स्वीकार कर आरोपी को बरी या उसकी सजा माफ कर सकती है.

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अगर अदालत यह मानती है कि जुर्माना न्याय के हित में पूरा नहीं होगा और कारावास की सज़ा आवश्यक है, तो वह व्यक्ति को अधिकतम छह महीने की अवधि के लिए नागरिक कारावास में रखने का आदेश दे सकती है.

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