बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के बयान ने देश में नई बहस छेड़ दी है. बीजेपी सांसद ने कहा कि देश में हो रहे गृहयुद्धों के लिए देश के सीजेआई जिम्मेदार है.
Image Credit: my-lord.inप्रतिक्रिया वक्फ संशोधन पर चल रही सुनवाई के बाद बीजेपी सांसद ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो संसद को बंद कर दिया जाए.
Image Credit: my-lord.inइस बयान को आपत्तिजनक बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी सांसद के खिलाफ अदालत की अवमानना का मुकदमा चलाने की मांग की गई है,लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अटॉर्नी जनरल की मंजूरी लेने को कहा है,
Image Credit: my-lord.inवहीं, अदालत की अवमानना अधिनियम की धारा 15 (1) b के तहत सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल को चिट्ठी लिखकर अदालत की अवमानना का मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है. आइये जानते हैं कि कानून के अनुसार, अदालत की अवमानना मामले में कितनी अधिकतम सजा का प्रावधान है..
Image Credit: my-lord.inअदालत की अवमानना अधिनियम 1971 के अनुसार, अदालत की अवमानना को अधिकतम छह महीने के साधारण कारावास या अधिकतम दो हजार रुपये के जुर्माने, या दोनों से दंडित किया जा सकता है.
Image Credit: my-lord.inहालांकि, अदालत को यह अधिकार है कि वे माफी स्वीकार कर आरोपी को बरी या उसकी सजा माफ कर सकती है.
Image Credit: my-lord.inअगर अदालत यह मानती है कि जुर्माना न्याय के हित में पूरा नहीं होगा और कारावास की सज़ा आवश्यक है, तो वह व्यक्ति को अधिकतम छह महीने की अवधि के लिए नागरिक कारावास में रखने का आदेश दे सकती है.
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