'Maternity Leave से इनकार महिला की गरिमा पर हमला'

Ananya Srivastava

Image Credit: my-lord.in | 28 Jul, 2023

मातृत्व अवकाश

उड़ीसा उच्च न्यायालय ने हाल ही में टिप्पणी की है कि किसी भी महिला के लिए मातृत्व अवकाश (Maternity leave) एक मूल मानवाधिकार है और कोई भी संस्थान अगर उसे यह अवकाश देने से मना करता है, तो ये महिला की गरिमा पर हमला करने के बराबर होगा

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'मातृत्व अवकाश' Inherent Right है

उड़ीसा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सशिकांत मिश्रा ने यह बात एक अध्यापिका की याचिका की सुनवाई के दौरान कही है। याचिकाकर्ता ओडिशा के क्योंझर जिले के एक गर्ल्स स्कूल में पढ़ाती हैं। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि 'मातृत्व अवकाश' की बराबरी किसी भी दूसरे अवकाश के साथ नहीं की जा सकती है क्योंकि हर महिला कर्मचारी के लिए यह एक अंतर्निहित अधिकार (Inherent Right) है

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महिला की गरिमा का हनन

अदालत ने कहा है कि मटर्निटी लीव न देने का फैसला करना निरर्थक और बेतुका होगा, यह प्रकृति की प्रक्रिया का विरोध करने के बराबर होगा। एक महिला को अगर इस मूल मानवाधिकार से वंचित रखा जाता है तो ये उनकी गरिमा का हनन करना होगा

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मौलिक अधिकार का उल्लंघन

अदालत ने कहा कि गरिमा का हनन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए जीवन का मौलिक अधिकार (Fundamental Right to Life) का उल्लंघन होगा। इस मौलिक अधिकार की व्याख्या गरिमा के साथ जीवन के रूप में की गई है

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SC जजमेंट बना आधार

उड़ीसा हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के अवलोकन को भी अपने जजमेंट का आधार बनाया है जो 'Municipal Corporation of Delhi Vs Female Workers (Muster Roll) and another' मामले में दिया गया था

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महिलाओं का सम्मान

इस मामले में शीर्ष न्यायालय का मानना था कि महिलायें हमारे समाज का लगभग आधा हिस्सा होती हैं इसलिए उनकी इज्जत की जानी चाहिए और जिन जगहों पर वो आजीविका कमाने हेतु जाती हैं, वहां उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए

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