मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर, 2022 को CJI उदय यू ललित के बाद भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. जस्टिस चंद्रचूड़ का मुख्य न्यायाधीश के तौर पर कार्यकाल दो साल के लिए 10 नवंबर, 2024 तक होगा.
Image Credit: my-lord.inराष्ट्रपति भवन में एक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद एवं उसकी गोपनीयता की शपथ दिलाई. सीजेआई ने कार्यभार संभालने के पहले दिन कहा, 'लोगों की सेवा करना मेरी प्राथमिकता है और न्याय वितरण प्रणाली को आधुनिक तकनीक से तेज करने के लिए, सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में सुधार और मामलों की त्वरित सूची उनके फोकस के क्षेत्रों हैं.
Image Credit: my-lord.inउनके पिता वाई.वी. चंद्रचूड़, भारत के 16वें मुख्य न्यायाधीश थे. उनकी माँ, प्रभा चंद्रचूड़, ऑल इंडिया रेडियो की गायिका थीं. देश में यह पहली बार हुआ है जब पिता के बाद बेटा भी सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस बना है. वह सबसे ज्यादा समय तक देश के चीफ जस्टिस रहे.
Image Credit: my-lord.inशपथ के बाद सीजेआई ने जूते उतारकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित की इसके बाद हाथ जोड़कर लोगों का अभिवानदन स्वीकार किया. उन्होंने CJI की कुर्सी पर बैठने से पहले अपने केबिन में तिरंगे को भी नमन किया. सीजेआई ने कार्यभार संभालने के पहले दिन कहा, 'लोगों की सेवा करना मेरी प्राथमिकता है '.
Image Credit: my-lord.inजस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ अपनी 2 बेटियों को साथ लेकर 6 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट पहुचें. CJI की दो बेटियों (16 साल की माही और 20 साल की प्रियंका) को सुप्रीम कोर्ट देखने की इच्छा थी. इस दौरान चीफ जस्टिस ने अपनी बेटियों को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में किस तरह काम होता है, सुप्रीम कोर्ट में उनका काम क्या है और वह कहां बैठते हैं.
Image Credit: my-lord.inजस्टिस चन्द्रचूड़ जज से भी ज्यादा एक विधिवेत्ता, एक शिक्षक और एक प्रोफेसर के रूप में बेहद पसंद किए जाते हैं. सीजेआई चन्द्रचूड़ को युवा इसलिए भी बेहद पसंद करते है कि वे अदालत के भीतर भी युवा अधिवक्ताओं को प्रोत्साहित करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं और ना केवल प्रोत्साहित किया है बल्कि उनके साथ खड़े भी नज़र आए हैं.
Image Credit: my-lord.inएक बेहतरीन वक्ता और शिक्षक के रूप में जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ की देश और दुनिया के कई संस्थानों और कार्यक्रमों में बेहद मांग रही हैं. लोकतंत्र की स्वतंत्रता, आजादी से लेकर मानवीय मूल्यों को लेकर दिए गए उन्हे व्याख्यान हमेंशा ही उनके फैसलों की तरह ही चर्चा में रहे हैं.
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