विवाह के लिए कन्यादान की वैधता को Allahabad High Court ने बताया निराधार!

My Lord Team

Source: my-lord.in | 09 Apr, 2024

'कन्यादान' वैध रस्म नहीं

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा कि ‘कन्यादान’ एक वैध हिंदू विवाह के लिए एक जरूरी रस्म नहीं है.

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हिंदू विवाह अधिनियम

जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की बेंच ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 7 (हिंदू विवाह के लिए रस्म) का हवाला देने के बाद एक आदेश में यह टिप्पणी की.

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सप्तपदी को मान्यता

एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदू विवाह अधिनियम केवल सप्तपदी को हिंदू विवाह की एक जरूरी रस्म के रूप में मान्यता देता है.

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रस्म विवाह के लिए नहीं है जरूरी!

और यह नहीं कहता है कि कन्यादान का रस्म हिंदू विवाह के लिए जरूरी है.

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अग्नि के सात फेरें

जहां ऐसे संस्कारों और समारोहों में सप्तपदी यानी दूल्हा और दुल्हन द्वारा अग्नि के सामने साथ में सात फेरे लगाना शामिल है.

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विवाह पूर्ण

विवाह सातवां फेरा पूरा होने पर पूर्ण और बाध्यकारी हो जाता है.

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कन्यादान पर विवाद

उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता ने अपने विवाह में कन्यादान की सत्यता की जांच करने की मांग थी. इसी दौरान हाईकोर्ट ने उपरोक्त बातें कहीं.

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