सुप्रीम कोर्ट देश भर में बार एसोसिएशन को बेहतर और मजबूत बनाने को लेकर बार एसोसिएशन से सुझाव देने को कहा है.
Image Credit: my-lord.inमंगलवार को हुई इस चर्चा के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने न्यायिक अधिकारी बनने के लिए दो साल की वकालती अनुभव की अनिवार्यता के नियम को हटाने के फैसले से नाराजगी जाहिर की.
Image Credit: my-lord.inजस्टिस ने बताया कि इस नियम के हटाने से फ्रेश लॉ ग्रेजुएट न्यायिक अधिकारी बन रहे हैं जिन्हें काम में अनुभव की कमी के चलते अदालत की कार्यवाही के दौरान कई बार शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है.
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपंकर दत्ता की खंडपीठ ने उक्त टिप्पणी की.
Image Credit: my-lord.inवाद बार काउंसिल की को मजबूत और बेहतर बनाने को लेकर थी. इसी दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने फ्रेश लॉ ग्रेजुएट के न्यायिक अधिकारी (Presiding Officer) बनाए जाने को लेकर चिंता जताई.
Image Credit: my-lord.inजस्टिस ने न्यायिक अधिकारी बनने के लिए दो साल की अनिवार्य वकालती प्रैक्टिस हटाए जाने से भी नाराजगी जाहिर की.
Image Credit: my-lord.inजस्टिस ने कहा, "आप बिना वकालती प्रैक्टिस के बेहतर अदालत के अधिकारी (प्रेसाइडिंग ऑफिसर) नहीं बन सकते है. अनुभव की कमी के चलते फ्रेश लॉ ग्रेजुएट को कई बार शर्मिंदगी का सामना करते देखता हूं. अगर जब आप शिकायत ड्राफ्ट करना, लिखित बयान लेना, मुकदमे के अहम मुद्दों को तैयार करना, और क्रॉस एग्जामिनेशन करना नहीं सीखेंगे, तब तक आप हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के लिए एक अच्छे न्यायिक अधिकारी नहीं बन सकते हैं."
Image Credit: my-lord.inवहीं जस्टिस दीपांकर दत्ता ने बार एसोसिएशन के भीतर चल रही राजनीति को सबसे बड़ी समस्या बताया है. उन्होंने इन संगठनों से राजनीति को खत्म करने की मांग की और इस बात पर जोर दिया कि वकील अदालत के अधिकारी हैं और उन्हें राजनीतिक गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए.
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