जस्टिस सोनक 'लिविंग बिल' बनवाने वाले गोवा के पहले व्यक्ति बने, जानिए क्या होता है?

Satyam Kumar

Source: my-lord.in | 02 Jun, 2024

लिविंग बिल

लिविंग विल एक ऐसा डाक्यूमेंट्स है, जो मेडिकल ट्रीटमेंट के बारे में किसी व्यक्ति की इच्छाओं के बारे में बताती है.

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मेडिकल डायरेक्टिव

लिविंग विल एक एडवांस मेडिकल डायरेक्टिव है. और उस वक्त काम करता है, जब व्यक्ति अपने लिए फैसला लेने में सक्षम ना हो.

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गोवा

इस कड़ी में गोवा देश का पहला राज्य बना जिसने लिविंग विल यानि जीवित वसीयत दर्ज की है.

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जस्टिस एम.एस. सोनक

बॉम्बे हाईकोर्ट के गोआ बेंच के जस्टिस एम.एस. सोनक ने शुक्रवार को अपनी लिविंग बिल रजिस्टर्ड कराई है.

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एडवांस मेडिल केयर

लिविंग बिल एक एडवांस मेडिकल केयर प्लानिंग है, जो व्यक्ति के मानसिक रूप से फैसले से अक्षम होने पर काम करती है.

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परिवार के सदस्यों

लिविंग बिल परिवार के सदस्यों की अनुमति देती है कि वे व्यक्ति की जगह उसके मेडिकल ट्रीटमेंट के फैसले लें.

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Passive Euthansia

लिविंग बिल, साल 2018 के बाद सुप्रीम कोर्ट के निष्क्रिय इच्छामृत्यु (Passive Euthansia) के फैसले को वैध बनाने के बाद आया.

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इजाजत

लेकिन यह केवल लिविंग बिल रखने वाले व्यक्ति को इजाजत देती है.

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आर्टिकल 21

क्योंकी संविधान के आर्टिकल 21 के तहत किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता.

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परिवार के अन्य सदस्य

लिविंग बिल के बाद बीमार व्यक्ति की स्थिति सुधार नहीं होने पर उनकी ट्रीटमेंट को लेकर उनके परिवार वाले फैसला ले सकते हैं.

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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