लोकसभा स्पीकर (अध्यक्ष) का चुनाव एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो भारतीय संसद के निचले सदन, लोकसभा, के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक है.
Image Credit: my-lord.inआम चुनाव के बाद जब नई लोकसभा का गठन होता है, तो राष्ट्रपति द्वारा नए सदन का पहला सत्र बुलाया जाता है. इस सत्र में सबसे पहले लोकसभा के सदस्यों को शपथ दिलाई जाती है.
Image Credit: my-lord.inशपथ के बाद सदन की पहले सत्र बुलाई जाती है, जिसमें लोकसभा स्पीकर के चयन को लेकर नामांकन प्रक्रिया शुरू की जाती है.
Image Credit: my-lord.inभारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 में लोकसभा के अध्यक्ष (स्पीकर) और उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) के चुनाव से संबंधित प्रावधान हैं.
Image Credit: my-lord.inस्पीकर पद के नामांकन के लिए कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर और दस सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होती है.
Image Credit: my-lord.inयदि केवल एक ही उम्मीदवार है, तो उसे निर्विरोध चुना जाता है. यदि एक से अधिक उम्मीदवार होते हैं, तो चुनाव प्रक्रिया अपनाई जाती है.
Image Credit: my-lord.inचुनाव गुप्त मतदान के माध्यम से होता है और प्रत्येक सांसद को एक वोट डालने का अधिकार होता है.
Image Credit: my-lord.inजिस उम्मीदवार को सदन के अधिकांश सदस्यों के वोट प्राप्त होते हैं, उसे स्पीकर चुना जाता है.चुनाव के परिणाम की घोषणा सदन में की जाती है.
Image Credit: my-lord.inनव-निर्वाचित स्पीकर अपनी सीट ग्रहण करता है और सदन का संचालन शुरू करता है.
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