कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक मामला आया जिसमें पत्नी ने सेशन्स कोर्ट के फैसले को चुनौती दी; उनके पति द्वारा उन्हें मिलने वाली मेंटेनेंस को इसलिए कम कर दिया गया था क्योंकि पति की दूसरी शादी हो गई थी
Image Credit: my-lord.inअदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर एक व्यक्ति पर्सनल लॉ के तहत दूसरी शादी करता है, तब भी अपनी पहली पत्नी का ध्यान रखना उसकी जिम्मेदारी है, वो ऐसा करने के लिए बाध्य है
Image Credit: my-lord.inन्यायाधीश शम्पा दत्त पॉल की एकल पीठ ने कहा कि एक महिला जिसने इतने सालों तक परिश्रमपूर्वक, ईमानदारी और प्यार से अपने पति के साथ समय बिताया है, वह तब तक देखभाल की हकदार है, जब तक उसे इसकी आवश्यकता है
Image Credit: my-lord.inबता दें कि सबसे पहले फैमिली कोर्ट ने आदेश दिया था कि पति पहली पत्नी को 6,000 रुपये मासिक मेंटेनेंस देंगे; इस फैसले को खारिज करके सेशन्स कोर्ट ने मेंटेनेंस राशि को 4,000 रुपये कर दिया। अब हाईकोर्ट ने राशि को बढ़ाकर वापस छह हज रूपये कर दिया है
Image Credit: my-lord.inयाचिकाकर्ता यानी पहली पत्नी ने अपने पति से अक्टूबर, 2003 में शादी की थी लेकिन अक्टूबर, 2012 में उसे घर से इसलिए निकाला गया क्योंकि ससुराल वालों की दहेज की मांगें पूरी नहीं हुई थीं। पति ने कथित तौर पर दूसरी शादी भी कर ली थी
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