सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बार काउंसिल में नामांकन (एनरोल) करने की फीस से जुड़े मामले की सुनवाई हो रही थी.
Image Credit: my-lord.inबहस के दौरान, सीजेआई ने अपने पुराने दिनों को याद किया.
Image Credit: my-lord.inअपने वकालत के दिनों को याद करते हुए CJI ने बताया, उन्हें पहले केस में फीस के तौर पर 4 गोल्ड की मोहरें मिले थे. उन दिनों 4 गोल्ड मोहरें का मूल्य 60 रूपये के बराबर था.
Image Credit: my-lord.inसीजेआई ने आगे बताया, कि उन्होंने ये केस बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस सुजाता मनोहर की अदालत में लड़ा था.
Image Credit: my-lord.inवाक्ये के दौरान सीजेआई ने बताया कि उन दिनों फीस देने का एक अलग चलन था,
Image Credit: my-lord.inक्लाइंट की ओर से वकील को एक फाइल मिलती थी. इस फाइल में एक हरे रंग की डॉकेट होता था जिसमें फीस लिखने के लिए खाली जगह होती थी.
Image Credit: my-lord.inफीस लिखने की जगह पर GM का जिक्र रहता था, और वकील उसी में अपना फीस लिखा करते थे.
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