'सात बजे से पहले घर आ जाओ' ऐसी फिल्में केवल लड़कियों पर ही क्यों बनती है, जस्टिस ने जताई हैरानी

Satyam Kumar

Image Credit: my-lord.in | 29 Aug, 2024

बदलापुर रेप केस

बदलापुर के एक स्कूल में दो नाबालिग लड़कियों के साथ कथित यौन उत्पीड़न की घटना पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है.

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लड़कों को सीख

सुनवाई के दौरान जज ने समाजिक परिस्थितियों से चिंता जताते हुए कहा कि हम हमेशा पीड़ितों के बारे में बात करते हैं. हम लड़कों को क्यों नहीं बताते कि क्या सही है और क्या गलत.

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सही-गलत

आपको लड़कों को यह बताना होगा कि उन्हें क्या नहीं करना चाहिए.

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महिलाओं का सम्मान

उन्हें दूसरे जेंडर का सम्मान करना, महिलाओं का सम्मान करना सिखाएं. हमारे समय नैतिक शिक्षा की क्लासेस होती थीं.

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शिक्षा विभाग

शिक्षा विभाग को यहां कदम उठाने की जरूरत है और लड़कों में बचपन से ही ये सभी चीजें डालनी चाहिए.

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समानता की भावना

जज ने आगे कहा, "अगर समानता नहीं सिखाई जाएगी तो कुछ नहीं होगा. अगर उचित जागरूकता नहीं लाई गई तो कोई भी कानून काम नहीं आएगा.

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7 चे आट, घरात

जस्टिस ने कहा कि एक मराठी फिल्म आई थी जिसका नाम था "7 चे आट, घरात" (शाम 7 बजे से पहले घर में आ जाओ) ऐसी फिल्में सिर्फ लड़कियों के लिए क्यों?

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लड़कों को लेकर फिल्म क्यों नहीं

जस्टिस ने आगे कहा कि लड़कों के लिए क्यों नहीं? लड़कों को जल्दी घर आने के लिए क्यों नहीं कहा जा सकता?

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बॉम्बे हाईकोर्ट सख्त

बदलापुर के स्कूल में हुई घटना को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट बेहद सख्त है. वह इन घटनाओं को सख्ती से निपटने को लेकर बेहद तत्पर है.

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