सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को निर्देश दिया कि कोलकाता में विक्टोरिया मेमोरियल के पास मेट्रो रेल परियोजना (Kolkata Metro Rail Project) के लिए केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) की इजाजत के बिना पेड़ों की कटाई या उनका प्रत्यारोपण नहीं किया जाएगा. इससे पहले कलकत्ता हाईकोर्ट ने इससे संबंधित याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें मैदान क्षेत्र (प्रस्तावित परियोजना स्थल) में बड़ी संख्या में पेड़ों की कथित कटाई और प्रत्यारोपण का हवाला देते हुए मेट्रो परियोजना से जुड़े सभी निर्माण कार्य को रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के 20 जून के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया. पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि हम निर्देश देते हैं कि प्रतिवादी सीईसी की इजाजत के बिना पेड़ों का प्रत्यारोपण या कटाई नहीं करेंगे. शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की आशंका को दूर करने के लिए यह उचित होगा कि सीईसी इस मुद्दे की जांच करे.
याचिकाकर्ता ‘पीपल यूनाइटेड फॉर बेटर लिविंग इन कोलकाता (पब्लिक)’ की ओर से पेश वकील ने पीठ को बताया कि वे मेट्रो परियोजना के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन एक स्टेशन से जुड़े निर्माण कार्य के लिए 900 से अधिक पेड़ गिराने की जरूरत पड़ेगी. वकील ने दलील दी कि पर्यावरण को नष्ट करना जनहित में नहीं है.
हालांकि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पेड़ों को काटा नहीं जा रहा है, बल्कि उनका प्रत्यारोपण किया जाएगा. उन्होंने बताया कि 827 पेड़ों के प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ेगी, जिनमें से प्राधिकारियों ने 94 पेड़ पहले ही प्रत्यारोपित कर दिए हैं. मेहता ने कहा कि प्रतिपूरक वनीकरण कार्यक्रम के तहत कुल 2,370 पेड़ लगाए जाएंगे. उन्होंने दलील दी कि मेट्रो परियोजना जनता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और इसके पूरा होने पर सड़कों पर भीड़भाड़ कम होगी. सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वकील ने मामले में उचित निर्देश लेने के लिए पीठ से अतिरिक्त समय देने का अनुरोध किया. इस पर पीठ ने कहा कि हर एक दिन की देरी पर परियोजना की लागत बढ़ती जाएगी. शीर्ष अदालत ने 13 सितंबर को पेड़ों की कटाई या प्रत्यारोपण पर पिछली सुनवाई तक रोक लगा दी थी. उसने पश्चिम बंगाल सरकार, रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) और अन्य को नोटिस जारी कर उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर उनका जवाब मांगा था.
(खबर भाषा इनपुट के आधार पर लिखी गई है)