Bachelor of Legislative Law: सुप्रीम कोर्ट में एल.एल.बी (Bachelor of Legislative Law) के पाठ्यक्रम की अवधि को कम करने की मांग को याचिका दायर की गई है. बारहवीं के बाद एल.एल.बी. का कोर्स पांच वर्षों का होता है, जिसे घटाकर तीन वर्षों के लिए जाने की मांग है. याचिका में इस मांग को लागू करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग भी है. बता दे कि 12वीं के बाद एल.एल.बी के पाठ्यक्रम की अवधि घटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील एवं भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyaya) ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर इस याचिका में कानून के क्षेत्र में आनेवाले छात्रों के सुगम बनाने की मांग की गई है. वर्तमान नियमों के अनुसार, लॉ कॉलेजों में इंटरमीडिएट के बाद पांच वर्षीय बीए-एलएलबी की पढ़ाई होती है. याचिकाकर्ता ने इस पाठ्यक्रम की अवधि तीन साल करने की मांग की गई है.
याचिका में केंद्र सरकार और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को इस बदलाव को लागू करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठन करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है.
याचिकाकर्ता ने दिवंगत न्यायविद् फली एस नरीमन एवं राम जेठमलानी के वक्तव्यों को आधार बनाने हुए कहा, कि छात्रों को 21 वर्ष की आयु तक वकालती करियर बनाने की इजाजत मिलनी चाहिए.
अधिवक्ता व भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने कानूनी शिक्षा को सुगम बनाने की मांग की. अधिवक्ता ने कहा, जहां देश में लोग 21 साल की उम्र में आईएएस अधिकारी बन सकते हैं. वहीं, कानून की पढ़ाई के लिए छात्रों को ग्रेजुएशन करने की आवश्यकता होती है. छात्र तीन साल की पढ़ाई में 15-20 विषय आसानी से पढ़ सकते हैं. 12वीं के बाद छात्रों के लिए पांच साल का पाठ्यक्रम उचित नहीं है. ये अवधी एक तरह से मनमानी है. इसमें बदलाव करने की आवश्यकता है.